श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख हाईकोर्ट की श्रीनगर खंडपीठ में एक महिला वकील के बुर्का पहनकर पेश होने पर हाईकोर्ट ने आपत्ति जताई है। कोर्ट ने वकील से अपनी पहचान उजागर करने के लिए बुर्का हटाने को कहा, लेकिन वकील ने इनकार कर दिया। उनका तर्क था कि इस तरह के परिधान में अदालत में पेश होना उनका मौलिक अधिकार है। इस घटना के बाद हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल से वकीलों के ड्रेस कोड संबंधी नियमों की स्पष्टता मांगी है।
क्या है पूरा मामला?
27 नवंबर, 2024 को नाजिया इकबाल बनाम मोहम्मद यासीन खान (नाजिया के पति) के एक गुमशुदगी मामले की सुनवाई जस्टिस मोक्षा खजूरिया और जस्टिस राहुल भारती की खंडपीठ के समक्ष होनी थी। नाजिया की ओर से पेश हुईं महिला वकील ने बुर्का पहन रखा था। पहचान सुनिश्चित करने के लिए खंडपीठ ने वकील से बुर्का हटाने का अनुरोध किया, जिसे वकील ने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि संविधान उन्हें इस तरह का परिधान पहनने का अधिकार देता है।
इसके बाद, कोर्ट ने रजिस्ट्रार जूडिशियल से बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के वकीलों के ड्रेस कोड संबंधी नियमों पर रिपोर्ट तलब की। 5 दिसंबर, 2024 को प्रस्तुत रिपोर्ट में वकीलों, विशेषकर महिला वकीलों के ड्रेस कोड का विस्तृत विवरण दिया गया था।
बीसीआई के नियमों के अनुसार चेहरा ढकना अनुचित:
रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि बीसीआई द्वारा निर्धारित ड्रेस कोड में महिला वकीलों के चेहरा ढककर कोर्ट में आने का कोई प्रावधान नहीं है। रिपोर्ट के आधार पर, हाईकोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि महिला वकीलों का चेहरा ढककर कोर्ट में आना बीसीआई के नियमों का उल्लंघन है। कोर्ट ने महिला वकीलों से कोर्ट रूम में शिष्टाचार और पेशेवर पहचान बनाए रखने का आग्रह किया।
महिला वकीलों के लिए ड्रेस कोड:
बीसीआई द्वारा निर्धारित ड्रेस कोड के अनुसार:
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ऊपरी वस्त्र: सफेद कॉलर वाली काली, पूरी बाजू की जैकेट या ब्लाउज, सफेद बैंड और एडवोकेट गाउन। वैकल्पिक रूप से, सफेद ब्लाउज (कॉलर के साथ या बिना), सफेद बैंड, और काला खुला कोट भी स्वीकार्य है।
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निचले वस्त्र: सफेद, काले, या किसी हल्के रंग की साड़ी या लंबी स्कर्ट (बिना प्रिंट या डिज़ाइन के)। अन्य विकल्पों में सफेद, काले धारीदार या भूरे रंग के फ्लेयर्ड ट्राउज़र, चूड़ीदार-कुर्ता, सलवार-कुर्ता, या पंजाबी पोशाक (सफेद या काले दुपट्टे के साथ या बिना) शामिल हैं। काले कोट और बैंड के साथ पारंपरिक पोशाक भी स्वीकार्य है।
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गाउन और कोट: सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में पेशी के अलावा, गाउन पहनना वैकल्पिक है। गर्मियों में, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की पेशी के अलावा, काला कोट पहनना अनिवार्य नहीं है।
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