Uttarakhand: उत्तराखंड में मां ने अपनी बेटी को ही उतारा मौत के घाट – The Hill News

Uttarakhand: उत्तराखंड में मां ने अपनी बेटी को ही उतारा मौत के घाट

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त्यूणी, [आज की तारीख]: उत्तराखंड के त्यूणी क्षेत्र में 4 जून, 2024 को एक छात्रा की संदिग्ध मौत के मामले में पुलिस ने सात महीने बाद हत्या का मुकदमा दर्ज किया है। छात्रा राधिका का शव टोंस नदी के किनारे एक पेड़ पर फंदे से लटका मिला था, जिसे पुलिस ने शुरू में आत्महत्या का मामला बताया था। लेकिन, मृतका के पिता जगत सिंह की अदालत में याचिका के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए हत्या की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।

मां और सौतेले पिता पर आरोप:

थानाध्यक्ष आशीष रवियान ने बताया कि मृतका की मां रीना और सौतेले पिता पप्पू के खिलाफ, साथ ही कुछ अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है। जगत सिंह ने आरोप लगाया था कि उनकी बेटी की हत्या उसकी मां और सौतेले पिता ने मिलकर की है।

घटना का विवरण:

राधिका राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मैंद्रथ में कक्षा 10वीं की छात्रा थी और अपने नानी के घर रगवाड़ में रहती थी, जहाँ उसकी माँ और सौतेला पिता भी रहते थे। उसके पिता जगत सिंह उत्तरकाशी के मोरी-नेटवाड़ क्षेत्र में रहते थे और उसकी पढ़ाई का खर्च वह उठाते थे। 4 जून की सुबह राधिका बकरी चराने गई थी और दोपहर तक वापस नहीं लौटी। तलाश के बाद उसका शव टोंस नदी के किनारे पेड़ पर फंदे से लटका मिला। घटनास्थल पर कुछ संदिग्ध चीजें मिलीं, जैसे कि उसके कुर्ते का फटा हुआ होना और पास में पत्थर पर उसके जूते और गले की चेन का होना।

पुलिस की निष्क्रियता और अदालत की शरण:

जगत सिंह ने अपनी बेटी की हत्या की आशंका जताते हुए पुलिस से कई बार शिकायत की थी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद उन्होंने अदालत का सहारा लिया, जिसके बाद पुलिस ने हत्या का मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस ने पहले इस घटना को आत्महत्या बताया था। जगत सिंह का आरोप है कि घटना के दिन सुबह उसकी पत्नी ने उसे फोन कर बताया कि राधिका किसी अन्य व्यक्ति से बात कर रही थी, जिसके बाद दोनों ने राधिका की पिटाई की थी। कुछ ही देर बाद, पत्नी ने फिर फोन कर आत्महत्या की सूचना दी। लेकिन, पिता को इस घटना में साज़िश का शक है।

जांच जारी:

पुलिस अब इस मामले की गहनता से जांच कर रही है और घटना से जुड़े तथ्यों को एकत्रित कर रही है। यह मामला उत्तराखंड में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की गंभीरता को उजागर करता है और पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाता है।

 

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