
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत एक अहम फैसला सुनाते हुए एक गैर-दलित महिला और एक दलित व्यक्ति के बीच विवाह को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं जिनमें बच्चों को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र मिलना और पति द्वारा बच्चों की शिक्षा का खर्च वहन करना शामिल है।
विवाह रद्द और बच्चों का एससी टैग: जस्टिस सूर्यकांत और उज्जल भुइयां की पीठ ने जूही पोरिया नी जावलकर और प्रदीप पोरिया को तलाक देते हुए कहा कि गैर-दलित महिला शादी के माध्यम से अनुसूचित जाति की सदस्यता नहीं प्राप्त कर सकती। हालांकि, दलित पति से पैदा हुए बच्चों को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र मिलेगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जाति जन्म से निर्धारित होती है और शादी से नहीं बदलती।

बच्चों के कल्याण के लिए निर्देश: कोर्ट ने 11 वर्षीय बेटे और 6 वर्षीय बेटी को एससी जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने का आदेश दिया है ताकि उन्हें सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और रोजगार में अनुसूचित जाति के कोटे का लाभ मिल सके। पिता को स्नातकोत्तर तक बच्चों की शिक्षा का पूरा खर्च (प्रवेश, ट्यूशन, बोर्डिंग और लॉजिंग) वहन करना होगा। महिला को 42 लाख रुपये का एकमुश्त भुगतान और पति की रायपुर स्थित जमीन का एक प्लॉट भी मिलेगा। पति को अगले साल 31 अगस्त तक महिला को निजी इस्तेमाल के लिए एक दोपहिया वाहन भी खरीदना होगा। कोर्ट ने दोनों के बीच दर्ज क्रॉस-एफआईआर भी रद्द कर दी है। महिला को बच्चों को पिता से मिलवाने और उनके बीच अच्छे संबंध बनाए रखने का निर्देश दिया गया है।
Pls read:Supreme Court: दूसरे राज्य का हो केस तब भी हाईकोर्ट दे सकते हैं अग्रिम जमानत