देहरादून: उत्तराखंड में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा सरकारी योजनाओं में ऋण वितरण में सुस्ती बरती जा रही है। मंगलवार को राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की समीक्षा बैठक में इस बात का खुलासा हुआ कि कई जिलों में राष्ट्रीयकृत बैंकों का ऋण जमा अनुपात (सीडी रेशो) निजी क्षेत्र के बैंकों से काफी पीछे है। इस पर वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने गहरी चिंता व्यक्त की है।
बैठक में बताया गया कि जुलाई से सितंबर 2024 की तिमाही में समग्र सीडी रेशो 53.26 प्रतिशत रहा, जबकि पिछली तिमाही में यह 54 प्रतिशत था। निजी क्षेत्र के बैंकों का सीडी रेशो 84.57 प्रतिशत रहा, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सीडी रेशो 42.33 प्रतिशत से आगे नहीं बढ़ सका। यह अंतर चिंताजनक है और यह दर्शाता है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक सरकारी योजनाओं के लक्ष्यों को पूरा करने में विफल रहे हैं।
वित्त सचिव जावलकर ने सीडी रेशो कम होने पर असंतोष व्यक्त करते हुए सूक्ष्म स्तर पर योजना बनाने और इसकी गहन समीक्षा करने के निर्देश दिए। उन्होंने राष्ट्रीयकृत बैंकों को निर्देशित किया कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और स्वरोजगारपरक गतिविधियों को ऋण देना अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बनाएँ। उन्होंने कहा कि इन दोनों क्षेत्रों में ऋण वितरण की दर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए निजी क्षेत्र के बैंकों के मुकाबले बहुत ही निराशाजनक है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था और आजीविका को मज़बूत करना है, इसलिए उन्हें अधिक से अधिक ऋण देना चाहिए।
जावलकर ने सभी बैंकर्स को विभिन्न विभागों के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करने, लाभार्थियों की पहचान करने, लक्ष्य निर्धारित करने और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी निगरानी करने के निर्देश दिए।
किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) अभियान:
बैठक में बताया गया कि केंद्रीय पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य मंत्रालय का राष्ट्रव्यापी किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) अभियान 15 सितंबर 2024 से 31 मार्च 2025 तक चलेगा। उत्तराखंड को 5000 केसीसी खाते खोलने का लक्ष्य दिया गया है और बैंकों से अपेक्षा की गई है कि वे इस अभियान में अधिकतम ऋण प्रदान करें।
अन्य महत्वपूर्ण बिंदु:
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ग्लोबल इन्वेस्टर समिट 2023 में चिन्हित निवेशकों को वित्त पोषित करके विभिन्न औद्योगिक इकाइयों को बैंक ऋण सुविधा प्रदान करके राज्य का ऋण जमा अनुपात बढ़ाया जा सकता है।
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कृषि और एमएसएमई क्षेत्र में छोटे ऋणों पर भी ध्यान केंद्रित करने के निर्देश दिए गए हैं।
बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एजीएम धीरज कुमार अरोड़ा, एसएलबीसी के एजीएम राजीव पंत, नाबार्ड के सहायक महाप्रबंधक शोभना सिंह, संयुक्त निदेशक पर्यटन एसएस सामंत, और संबंधित बैंकर्स और अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में उठे मुद्दों से स्पष्ट है कि उत्तराखंड में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिए सरकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए बैंकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है और उन्हें अपनी भूमिका को और अधिक गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। अगर यह अंतर नहीं पाटा गया तो राज्य के विकास को गंभीर नुकसान हो सकता है।
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