अमृतसर: शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल पर बुधवार को अमृतसर के श्री हरमंदिर साहिब में गोली चलाने का प्रयास किया गया। हालांकि, सादी वर्दी में तैनात एक पुलिसकर्मी ने तुरंत कार्रवाई करते हुए हमलावर को पकड़ लिया और उसका हाथ ऊपर कर दिया। गोली श्री हरमंदिर साहिब की दीवार में लगी, जिससे कोई हताहत नहीं हुआ। यह घटना पंजाब में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल उठाती है।
हमलावर की पहचान नारायण सिंह चौरा (डेरा बाबा नानक निवासी) के रूप में हुई है। पुलिस जांच में पता चला है कि चौरा गरमपंथी है और दल खालसा से जुड़ा हुआ है। उसका जन्म 4 अप्रैल 1956 को डेरा बाबा नानक में हुआ था और वह कथित तौर पर गरमख्याली लिबरेशन फोर्स और अकाल फेडरेशन से भी जुड़ा था।
चौरा को 28 फरवरी 2013 को तरनतारन के जलालाबाद गांव से गिरफ्तार किया गया था। उसके साथियों सुखदेव सिंह और गुरिंदर सिंह को उसी दिन पंडोरी गांव से गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने मोहाली में छापा मारकर हथियार और गोला-बारूद बरामद किए थे। उसके खिलाफ 8 मई 2010 को अमृतसर के सिविल लाइंस थाने में विस्फोटक अधिनियम के तहत कई मामले दर्ज थे। वह अमृतसर, तरनतारन और रोपड़ जिलों में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत भी वांछित था।
एक अदालत ने विस्फोटक अधिनियम के तहत एक मामले में उसे बरी कर दिया था। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, चौरा 1984 में पाकिस्तान चला गया था और पंजाब में हथियारों और विस्फोटकों की तस्करी में शामिल था। पाकिस्तान में रहते हुए उसने कथित तौर पर गुरिल्ला युद्ध और देशद्रोही साहित्य पर एक किताब लिखी थी। वह बुड़ैल जेलब्रेक मामले में भी आरोपी था।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ:
इस घटना पर राजनीतिक हलचल मची हुई है। अकाली नेता दलजीत चीमा ने आरोप लगाया कि चौरा का भाई कांग्रेस सांसद सुखजिंदर रंधावा का करीबी है और उन्होंने इस मामले की न्यायिक जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह हमला मान सरकार की विफलता है।
समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने हमले की निंदा की और इसे बेहद दुखद बताया। एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि वे इस मामले की जांच करेंगे और सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करेंगे। भाजपा के राज्य प्रेस सचिव हरदेव सिंह उभा ने भी हमले की निंदा की और आरोपियों को कड़ी सजा देने की मांग की। उन्होंने सुरक्षा में लापरवाही की जांच की भी मांग की।
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने इस हमले की निंदा करते हुए इसे सरकार की सुरक्षा में 100% लापरवाही बताया और कड़ी कार्रवाई की मांग की। उन्होंने एसीपी को सस्पेंड करने की भी मांग की है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी इस हमले को अत्यंत दुखद और निंदनीय बताया और इसकी निष्पक्ष जांच की मांग की है।
सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल:
यह घटना श्री हरमंदिर साहिब जैसी अति संवेदनशील जगह पर हुई है, जिससे पंजाब में सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठते हैं। यह घटना यह भी दर्शाती है कि कैसे अतीत के आतंकवादी घटनाक्रमों से जुड़े तत्व अभी भी सक्रिय हैं और राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। इस घटना के बाद, पुलिस और प्रशासन को सुरक्षा प्रबंधों की समीक्षा करनी होगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। पुलिस आगे की जाँच में जुटी हुई है और इस हमले के पीछे के षड्यंत्र का खुलासा करने का प्रयास कर रही है।
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