देहरादून: केदारनाथ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव की तारीख नजदीक आते ही कांग्रेस ने भाजपा में असंतोष को हवा देने का काम तेज कर दिया है। टिकट को लेकर भाजपा में अंतर्कलह सामने आने के बाद, मुख्य विपक्षी पार्टी मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल करने की कोशिशों में जुट गई है।
बदरीनाथ उपचुनाव में मिली जीत का असर:
बदरीनाथ विधानसभा सीट पर मिली जीत के बाद, कांग्रेस केदारनाथ सीट पर भी जीत की उम्मीद कर रही है। पार्टी का मानना है कि भाजपा की अंदरूनी खींचतान और एंटी-इनकंबेंसी कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। पार्टी एक-दो दिनों में अपना प्रत्याशी घोषित कर सकती है।
कांग्रेस का मनोबल बढ़ा हुआ:
गत जुलाई माह में हुए दो विधानसभा सीटों, मंगलौर और बदरीनाथ के उपचुनाव में जीत ने कांग्रेस का मनोबल बढ़ा दिया है। लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार हार के बावजूद उपचुनाव में मिली सफलता पार्टी की उम्मीदों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। अब पार्टी का पूरा जोर केदारनाथ उपचुनाव में जीत हासिल करने पर है।
भाजपा में टिकट को लेकर उठे विवाद:
केदारनाथ सीट भाजपा विधायक शैलारानी रावत के निधन से रिक्त हुई है। इस सीट पर दावेदारी को लेकर उनकी बेटी ऐश्वर्या रावत के बारे में इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट वायरल होने से कांग्रेस को सत्ताधारी दल की घेराबंदी का मौका मिल गया है।
कुलदीप रावत की भूमिका:
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर निर्दलीय चुनाव लड़कर दूसरे स्थान पर रहे कुलदीप रावत के तेवर भी भाजपा की चिंता बढ़ा रहे हैं। कुलदीप रावत वर्तमान में भाजपा में हैं। कांग्रेस इस असंतोष का फायदा उठाने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस की रणनीति:
कांग्रेस की रणनीति उपचुनाव में केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के असंतोष को मुद्दा बनाने की है, ताकि मतदाताओं को संदेश दिया जा सके। पार्टी अपने प्रत्याशी की घोषणा शीघ्र कर सकती है। प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा प्रत्याशी चयन के लिए पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट पर विचार करने के लिए प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं के साथ गत दिवस नई दिल्ली में बैठक कर चुकी हैं।
समन्वय समिति की बैठक:
शनिवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में प्रदेश कांग्रेस समन्वय समिति की बैठक बुलाई गई है। समन्वय समिति केदारनाथ उपचुनाव के साथ आगामी नगर निकाय चुनाव को ध्यान में रखकर आगे की रूपरेखा तैयार करेगी। माना जा रहा है कि प्रत्याशी की घोषणा से पहले प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं यानी समन्वय समिति में अंतिम रूप से सर्वसम्मत राय भी बना ली जाए। इसके बाद पार्टी हाईकमान शनिवार सायं अथवा रविवार तक प्रत्याशी की घोषणा कर सकता है।
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