चंडीगढ़: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की घोषणा कर दी है। उनके इस फैसले को पंजाब के आप नेताओं ने साहसिक कदम बताया है, वहीं विपक्ष ने इसे केजरीवाल की मजबूरी बताया है।
विपक्ष का रुख:
विपक्षी नेताओं का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को अपने दफ्तर जाने व फाइल पर हस्ताक्षर करने पर रोक लगा दी है, जिसके कारण उन्हें मजबूर होकर इस्तीफा देना पड़ रहा है। भाजपा नेता डा. सुभाष शर्मा ने कहा कि केजरीवाल उंगली में खून लगाकर शहीदी का दर्जा प्राप्त करना चाहते हैं। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा उनकी मजबूरी थी।
शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता अर्शदीप कलेर ने भी इसी राय को दोहराते हुए कहा कि इस्तीफा देना केजरीवाल की मजबूरी थी। जब वह सचिवालय नहीं जा सकते, फाइलों पर दस्तखत नहीं कर सकते तो फिर मुख्यमंत्री की बात के। उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ऐसा करने से रोका हैं तो कुछ देख कर ही किया होगा। इसलिए इस्तीफा देना केजरीवाल की मजबूरी थी।
AAP नेताओं का समर्थन:
वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने यह बहुत बड़ा फैसला लिया है। देश जानता है कि भारतीय जनता पार्टी ने उनके खिलाफ एक झूठा केस बनाया था। अब सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद यह साफ हो गया है कि अरविंद केजरीवाल पर जो दोष लगाए थे वे बिल्कुल झूठे थे।
उन्होंने कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि जब अरविंद केजरीवाल अपने घर से निकलेंगे तो लाखों लोग उनके पीछे उनका समर्थन करने के लिए निकलेंगे। दिल्ली के लोग उन्हें फिर से मुख्यमंत्री बनाएंगे। यह त्याग की भावना है। उनके लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं बल्कि दिल्ली के लोग प्यारे हैं। वह दिल्ली की जनता से प्यार करते हैं।
कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने कहा कि केजरीवाल ने देश में एक नई और ईमानदार राजनीति की शुरुआत की थी, आज उन्होंने इस्तीफा देकर फिर से अपनी ईमानदारी का सबूत दिया है। मंत्री अनमोल गगन मान ने कहा कि अब जनता फैसला करेगी कि अरविंद केजरीवाल गुनाहगार है या ईमानदार।
सांसद मलविंदर सिंह कंग ने कहा कि दिल्ली के लोगों को पता है कि अरविंद केजरीवाल एक ईमानदार और लोगों के लिए काम करने वाले नेता हैं। वह अब दिल्ली की गली- गली में जाकर लोगों के सामने अपना पक्ष रखेंगे और लोगों के आशीर्वाद से फिर से भारी बहुमत से सरकार बनाएंगे।
केजरीवाल को शराब घोटाले मामले में सशर्त जमानत मिली है।
यह घटना राजनीतिक हलचल का केंद्र बन गई है। यह देखना होगा कि केजरीवाल का यह कदम दिल्ली की राजनीति में क्या बदलाव लाता है।
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