देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा के लिए आने वाले समय में चुनौतियां बढ़ गई हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और विधायकों को साधे बिना आगे कदम बढ़ाना उनके लिए संभव नहीं होगा।
मंगलवार को समन्वय समिति की बैठक से दो दिन पहले जिला एवं ब्लॉक समेत विभिन्न स्तर पर की गई नियुक्तियों को पार्टी हाईकमान ने जिस प्रकार निरस्त किया, उसके निहितार्थ यही माने जा रहे हैं।
नगर निकाय और पंचायतों के चुनाव के साथ ही केदारनाथ उपचुनाव की हर रणनीति में प्रदेश संगठन के स्थान पर समन्वय समिति की छाप दिखाई देगी।
उत्तराखंड में वर्ष 2022 में मार्च माह में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पराजय मिलने के बाद पार्टी हाईकमान ने करन माहरा को प्रदेश संगठन की बागडोर सौंपी थी। प्रदेश कांग्रेस के कप्तान के रूप में अभी तक लगभग ढाई वर्ष के कार्यकाल में माहरा के सामने सबसे बड़ी चुनौती दिग्गज नेताओं और विधायकों के साथ समन्वय की रही है। विधायकों से लेकर वरिष्ठ नेता संगठन के स्तर पर निर्णय लेने में उन्हें विश्वास में नहीं लेने का आरोप लगाते रहे हैं।
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