देहरादून: राजधानी के चर्चित रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी कार्रवाई शुरू कर दी है। शुक्रवार को उत्तराखंड समेत पांच राज्यों में 18 से ज़्यादा जगहों पर छापे मारे गए। इनमें देहरादून के आरोपी अधिवक्ताओं के घर भी शामिल हैं।
सूत्रों के मुताबिक, ईडी ने इस मामले से जुड़े दो बिल्डरों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। इन बिल्डरों के नाम पुलिस जांच में सामने नहीं आए थे, लेकिन माना जा रहा है कि इनका इस मामले से गहरा ताल्लुक है।
ईडी की यह कार्रवाई कुछ दिन और जारी रह सकती है।
क्या है पूरा मामला?
पिछले साल जुलाई में जिलाधिकारी की जनसुनवाई के दौरान आए एक मामले में रजिस्ट्री फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था। प्रशासन के स्तर पर जांच हुई तो पता चला कि यहां बड़ी-बड़ी जमीनों के पुराने दस्तावेजों को बदलकर जालसाजी की गई है। वर्षों से जिन जमीनों पर कोई काबिज नहीं था अचानक से इन जमीनों की खरीद फरोख्त होने लगी।
जांच में पता चला कि इन जमीनों में ज्यादातर के रिकॉर्ड सहारनपुर में रखे हुए थे, जबकि कुछेक के देहरादून सब रजिस्ट्रार कार्यालयों में थे। इनके दस्तावेजों पर पुरानी लिखाई मिटाकर नए विक्रय पत्र तैयार कर दिए गए।
तत्कालीन एआईजी स्टांप की शिकायत पर कोतवाली शहर में पहला मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद दो स्तर पर (प्रशासन और पुलिस) एसआईटी का गठन कर दिया गया।
पुलिस ने 13 मुकदमे दर्ज किए, ईडी ने जांच शुरू की
पुलिस ने प्रशासन की जांच पर एक के बाद एक 13 मुकदमे दर्ज किए। इनमें देहरादून में नामी अधिवक्ताओं के नाम भी सामने आए। अधिवक्ता कमल विरमानी वर्तमान में एक साल से अधिक समय से जेल में बंद है। गत जनवरी में पुलिस की ओर से इस मामले में ईडी जांच के लिए लिखा गया था। अब इस मामले में ईडी ने कार्रवाई शुरू कर दी है।
ईडी ने यहां से बहुत से दस्तावेज बरामद किए हैं।
मामले का सूत्रधार केपी सिंह की मौत हो चुकी है
इस मामले में सबसे पहले एक अधिवक्ता इमरान की गिरफ्तारी हुई थी। उससे पूछताछ में पता चला कि मामले का सूत्रधार सहारनपुर का रहने वाला केपी सिंह है। केपी सिंह की सहारनपुर जिला जेल में तबीयत खराब होने से मौत हो गई थी। पूरे प्रकरण में करीब 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इनमें राजस्व के नामी अधिवक्ता कमल विरमानी का नाम भी शामिल है। ईडी ने इन सभी के ठिकानों पर छापा मारा है, सहारनपुर में केपी सिंह के मकान पर भी ईडी पहुंची थी।
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