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देहरादून। उत्तराखंड को वर्ष 2024-25 के लिए केंद्र के अंतरिम बजट में केंद्रीय करों में बढ़े हुए राज्यांश और विशेष पूंजीगत सहायता के रूप में लगभग 4645 करोड़ की राशि राज्य को प्राप्त होगी। साथ में केंद्र की फ्लैगशिप योजनाओं और पूंजीगत मद के बजट में प्रस्तावित की गई बड़ी वृद्धि का लाभ राज्य को अवस्थापना विकास कार्यों की गति बढ़ने में दिखेगा। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र के अंतरिम बजट में 15वें वित्त आयोग की संस्तुतियों के आधार पर केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में प्रदेश को मिलने वाले राज्यांश में वृद्धि हुई है।
बजट के संशोधित अनुमान के अनुसार राज्यांश में यह वृद्धि चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 से ही लागू होगी। वर्ष 2023-24 में राज्य के लिए पहले 11419.78 करोड़ रुपये का प्रविधान था। संशोधित अनुमान में यह राशि बढ़कर 12348 करोड़ हो गई है। इस प्रकार प्रदेश को 928 करोड़ रुपये अधिक प्राप्त होंगे। वित्तीय वर्ष 2024-25 में केंद्रीय करों में राज्यांश लगभग 13637 करोड़ अनुमानित है। बीते वर्ष के मूल अनुमान से यह 2217 करोड़ रुपये अधिक है। राज्यांश में यह वृद्धि राज्य के आर्थिक विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
केंद्र सरकार ने विशेष पूंजीगत सहायता में 50 वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण के संशोधित अनुमान को एक लाख करोड़ से बढ़ाकर 1.30 लाख करोड़ किया है। इससे राज्य को विकास और निर्माण कार्यों के लिए लगभग 1500 करोड़ रुपये मिलने का रास्ता साफ हो गया है। अंतरिम बजट में पूंजीगत मद में खर्च किए जाने वाले बजट के आकार में 11.1 प्रतिशत की वृद्धि की है।
साथ ही केंद्र की महत्वाकांक्षी फ्लैगशिप योजनाओं के लिए भी धन आवंटन को बढ़ाया है। इसका सीधा लाभ उत्तराखंड समेत समस्त हिमालयी प्रदेशों को मिलेगा। विशेष दर्जा प्राप्त होने के कारण इन राज्यों को फ्लैगशिप समेत तमाम केंद्रपोषित योजनाओं में केंद्र से अधिक अनुदान मिलता है। स्वयं के सीमित वित्तीय संसाधन होने के कारण उत्तराखंड अवस्थापना विकास के लिए केंद्रीय योजनाओं पर अधिक निर्भर है।
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