देहरादून। नगर निगम के सफाई कर्मचारियों के वेतन के नाम पर हुए फर्जीवाड़े में जांच शुरू हो गई है। जिलाधिकारी सोनिका ने पांच वर्षों से कार्यरत प्रत्येक सफाई कर्मचारी का ब्योरा मांगा है। यह तथ्य सामने आया है कि नगर निगम का बोर्ड भंग होने से पहले ही कर्मचारियों की सूची में बदलाव कर दिया गया था। अब स्वच्छता समिति के अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, पार्षद, सुपरवाइजर और नगर निगम के अधिकारी भी जांच के दायरे में आ गए हैं।
नगर निगम सूत्रों के अनुसार, बोर्ड भंग होने से पहले स्वच्छता समितियों में काम कर रहे कर्मचारियों के नाम बदल दिए गए। माना जा रहा है कि पहले अपने चहेतों के नाम पर वेतन लिया गया, फिर बोर्ड भंग पर नाम बदल दिये। वेतन जारी करते वक्त तो पूर्ण क्षमता के आधार पर कर्मचारी तैनात होने का दावा किया गया, जबकि सफाई कार्य में आधे ही कर्मचारी पाए गए। इस कार्य में निगरानी की जिम्मेदारी सुपरवाइजरों की थी और उन पर सफाई निरीक्षकों को नजर रखनी थी। वहीं, पार्षदों के पास उनके वार्ड में स्वच्छता समिति को चलाने की जिम्मेदारी थी।