लखनऊ । ज्ञानवापी के एएसआइ सर्वे पर हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट गया है, लेकिन इन सबके बीच विवाद के समाधान की खिड़की भी खोलने के संकेत दिए हैं। आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि ज्ञानवापी वर्षों पुरानी मस्जिद है। वहां पांच वक्त की नमाज हो रही है। सर्वे के संबध में हाईकोर्ट के फैसले से मुस्लिम पक्ष संतुष्ट नहीं है। सुप्रीम कोर्ट से जो आखिरी फैसला होगा, उसको मुसलमान मानेंगे।
पूरे भारत का मुसलमान संविधान की एक-एक लाइन को मानता है। इसकी मिसाल अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का आखिरी फैसला है। संभव हो तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुस्लिमों की बड़ी बैठक बुलाएं। उनके सामने समाधान का अपना प्रस्ताव रखें। फिर उनकी बात पर विचार विमर्श किया जा सकता है।
उधर, जमीयत उलमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं दारुल उलूम देवबंद के सदर मुदर्रिस मौलाना अरशद मदनी का कहना है कि सर्वे को लेकर आया फैसला प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट 1991 के खिलाफ है। इसके मुताबिक 15 अगस्त 1947 यानी देश के आजाद होने के समय धार्मिक स्थलों की देश भर में जो स्थिति है, उसमें किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है। ज्ञानवापी में पुरातात्विक सर्वेक्षण के दृष्टिगत एक दिन पूर्व ही जिले में सुरक्षा को लेकर अलर्ट घोषित कर दिया गया। थानों में मीटिंंग कर धर्मगुरुओं और सभ्रांत लोगों से अमन बनाए रखने और इसमें सहयोग की अपील की गई है।
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