देहरादून। कांग्रेस शासनकाल में वर्ष 2015-16 में हुई दारोगा भर्ती में नकल माफिया ने मोटी रकम लेकर परीक्षा की ओएमआर शीट में ही खेल किया था। विजिलेंस जांच में संदिग्ध अथ्यर्थियों की ओएमआर शीट में गोल घेरों पर कई जगह व्हाइटनर के सफेद निशान मिले। इस भर्ती में भी गड़बड़ी का सूत्रधार हाकम सिंह रावत, केंद्रपाल व आरएमएस टेक्नो साल्यूशंस प्रिटिंग प्रेस लखनऊ का मालिक राजेश चौहान रहा। बिजनौर उत्तर प्रदेश निवासी केंद्रपाल ने ही गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय के अधिकारियों के साथ साठगांठ कर रकम पहुंचाई थी।
अपर पुलिस महानिदेशक वी. मुरुगेशन ने बताया कि दारोगा भर्ती की परीक्षा की जिम्मेदारी पंतनगर विवि प्रशासन ने आरएमएस टेक्नो साल्यूशंस को दी थी। इसी कंपनी ने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्ती परीक्षाओं में भी गड़बड़ी की थी। जांच में सामने आया कि कंपनी के मालिक राजेश चौहान ने करोड़ों रुपये लेकर दारोगा भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी कराई।
बता दें कि भर्ती के तत्काल बाद गड़बड़ी के आरोप लगे थे, लेकिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने मामले की जांच नहीं कराई और बाद में मामला ठंडे बस्ते में चला गया। गड़बड़ी कर दारोगा बने अभ्यर्थी प्रशिक्षण के बाद प्रदेश के विभिन्न थाने-चौकियों में पोस्टिंग भी पा गए, लेकिन जब पिछले वर्ष अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्ती परीक्षाओं में घोटालों के मामले खुले तो दारोगा भर्ती का जिन्न भी बाहर आ गया।