देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में पढ़ाई कर रहे त्रिपुरा के एक छात्र की निर्मम हत्या ने न केवल राज्य बल्कि पूरे देश के पूर्वोत्तर छात्र समुदाय को झकझोर कर रख दिया है। एक मामूली विवाद में नस्लीय टिप्पणियों के बाद हुए इस खूनी खेल ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। युवक की मौत के बाद से ही पूर्वोत्तर के छात्रों में गहरा आक्रोश और गुस्सा देखा जा रहा है जो अब सड़कों से लेकर सोशल मीडिया तक फैल गया है।
मृतक छात्र की पहचान एंजेल चकमा के रूप में हुई है जो त्रिपुरा का रहने वाला था और देहरादून की जिज्ञासा यूनिवर्सिटी में एमबीए की पढ़ाई कर रहा था। घटना 9 दिसंबर की है जब एंजेल अपने भाई के साथ सेलाकुई क्षेत्र में एक दुकान पर सामान लेने गया था। वहां कुछ युवकों ने उन्हें निशाना बनाते हुए चाइनीज, चिंकी और मोमोज जैसी बेहद अपमानजनक और नस्लीय टिप्पणियां करनी शुरू कर दीं। जब दोनों भाइयों ने इस बदतमीजी का विरोध किया तो बात इतनी बढ़ गई कि हमलावरों ने उन पर चाकुओं से ताबड़तोड़ हमला कर दिया।
इस हमले में एंजेल गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां वह पिछले 17 दिनों से जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा था। आखिरकार तमाम कोशिशों के बावजूद इलाज के दौरान एंजेल ने दम तोड़ दिया। पुलिस ने इस मामले में तत्परता दिखाते हुए 14 दिसंबर को कार्रवाई की और पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था।
एंजेल की मौत की खबर मिलते ही पूर्वोत्तर छात्र समुदाय का गुस्सा फूट पड़ा। छात्रों ने सोशल मीडिया पर जस्टिस फॉर एंजेल चकमा मुहिम छेड़ दी है। ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म्स पर एंजेल के लिए इंसाफ की मांग जोर पकड़ रही है। छात्र इस घटना को केवल एक हत्या नहीं बल्कि पूर्वोत्तर के लोगों के खिलाफ बढ़ती नस्लीय नफरत का नतीजा बता रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसी घटनाएं बर्दाश्त नहीं की जाएंगी और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।