पंजाब के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल श्री आनंदपुर साहिब में बुलाए गए विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान सोमवार को सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। स्थिति उस समय तनावपूर्ण हो गई जब सदन में बोलने का समय न मिलने के कारण कांग्रेस पार्टी ने कार्यवाही का बहिष्कार करते हुए वॉकआउट कर दिया। यह पूरा विवाद भुलत्थ से विधायक सुखपाल सिंह खैहरा और विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवा के बीच समय आवंटन को लेकर शुरू हुआ।
घटनाक्रम के अनुसार सदन की कार्यवाही के दौरान शिक्षा मंत्री द्वारा एक प्रस्ताव पेश किया गया था। इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए सुखपाल सिंह खैहरा अपनी बात रखना चाहते थे। उन्होंने स्पीकर कुलतार सिंह संधवा से बार-बार बोलने के लिए समय की मांग की, लेकिन स्पीकर ने समय की कमी का हवाला देते हुए उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी। अपनी मांग पूरी न होते देख खैहरा अपनी सीट पर खड़े हो गए और उन्होंने इसे लेकर कड़ा विरोध जताया। उन्होंने सदन के भीतर ही इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन करार दिया और पंजाब सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए। जब स्पीकर ने उनके द्वारा कहे गए शब्दों को सदन की कार्यवाही से हटाने का निर्देश दिया, तो इसके विरोध में सुखपाल सिंह खैहरा सदन से वॉकआउट कर गए।
सदन से बाहर आने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए सुखपाल सिंह खैहरा ने सरकार के रवैये पर जमकर भड़ास निकाली। उन्होंने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस सदन के अंदर मानवाधिकारों की बात की जा रही है, वहां एक पवित्र दिन और पवित्र स्थान पर एक चुने हुए प्रतिनिधि के बोलने के अधिकार को ही छीना जा रहा है। उन्होंने कहा कि श्री आनंदपुर साहिब की पावन धरती पर इस तरह का भेदभाव किया जा रहा है, जिससे यह सवाल उठता है कि आम आदमी पार्टी की सरकार गुरु साहिब का क्या संदेश देना चाहती है। खैहरा ने यह भी आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार ने मीडिया सहित हर संस्था को हाईजैक कर लिया है और विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
दूसरी ओर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस पूरे प्रकरण पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सुखपाल सिंह खैहरा पर तंज कसा। मुख्यमंत्री ने किसी का नाम लिए बिना इशारों-इशारों में कहा कि जब हम बाजार में दस किलो टमाटर खरीदने जाते हैं, तो उनमें से एक-आध तो खराब निकल ही आता है। उनका यह कटाक्ष सीधे तौर पर खैहरा के व्यवहार को लेकर था। मान ने कहा कि यह एक विशेष सत्र था और इसकी गरिमा का ध्यान रखते हुए कम से कम ऐसे मौके पर इस तरह का व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए था।
वहीं विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवा ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि उनकी मंशा किसी को रोकने की नहीं थी। वह चाहते थे कि सभी विधायकों को बोलने का अवसर मिले, लेकिन समय की अत्यधिक कमी के कारण ऐसा कर पाना संभव नहीं था। उन्होंने विधायकों को सुझाव दिया कि वे अपनी सहमति और विचार लिखकर दे दें ताकि उन्हें सदन की कार्यवाही का हिस्सा बनाया जा सके।
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