चंडीगढ़। जिला अदालत ने कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ के गिरोह से जुड़े तीन आरोपितों – उमंग, परविंदर उर्फ पिंडु और अनमोलप्रीत सिंह की डिस्चार्ज अर्जी को खारिज कर दिया है। इन तीनों पर अनलाफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) की गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। अब इन आरोपितों के खिलाफ आरोप तय होकर मुकदमा शुरू होने का रास्ता साफ हो गया है।
पिछले साल चंडीगढ़ पुलिस ने इन तीनों आरोपितों को गैंगस्टर भुप्पी राणा की कोर्ट में पेशी के दौरान हत्या की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इन पर यूएपीए की धारा 17, 18, 18बी, 20, आईपीसी की धारा 120बी, 201, 419, 471 और आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।
आरोपितों के वकील ने केस में यूएपीए लगाने पर सवाल उठाते हुए डिस्चार्ज अर्जी दायर की थी। उनका तर्क था कि पुलिस ने यूएपीए की धारा 45(2) और 2008 के नियमों का पालन नहीं किया। वकीलों ने यह भी कहा कि यूएपीए एक गंभीर कानून है, जिसे आमतौर पर आतंकवादियों के खिलाफ लगाया जाता है और इसकी जांच डीएसपी रैंक का अधिकारी करता है। हालांकि, चंडीगढ़ पुलिस ने इसकी शुरुआती जांच एक सब-इंस्पेक्टर को सौंप रखी थी, जो नियमों का उल्लंघन था। इसी आधार पर आरोपितों ने खुद को केस से बरी किए जाने की मांग की थी।
हालांकि, सरकारी वकील ने इन दलीलों का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने अदालत को बताया कि कानून का पालन करते हुए ही आरोपितों पर यूएपीए लगाया गया था और बाद में जांच डीएसपी उदयपाल को सौंप दी गई थी। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, जज ने आरोपितों को केस से बरी करने की अर्जी को खारिज कर दिया, जिससे अब उन पर मुकदमा चलेगा।
यह मामला 26 फरवरी, 2024 को तब सामने आया जब पुलिस को सूचना मिली कि सेक्टर-42 लेक की पार्किंग में दो युवक सेक्टर-43 जिला अदालत के पास एक्टिवा पर हथियार लेकर घूम रहे हैं। पुलिस ने मौके से सनी उर्फ सचिन उर्फ मैडी मनचंदा और उमंग को गिरफ्तार किया, जिनके पास से पिस्टल और जिंदा कारतूस बरामद हुए। इन दोनों के बयान के आधार पर पुलिस ने कैलाश चौहान उर्फ टाइगर को भी हथियारों सहित पकड़ा। इसके बाद अनमोलप्रीत, परविंदर और माया उर्फ कशिश और बलजीत को भी गिरफ्तार किया गया।
पुलिस के मुताबिक, ये सभी आरोपित गैंगस्टर भुप्पी राणा की हत्या की साजिश में शामिल थे। भुप्पी राणा को किसी मामले के सिलसिले में चंडीगढ़ कोर्ट में पेश किया जाना था और आरोपित उसे कोर्ट परिसर में ही खत्म कर देना चाहते थे। पुलिस की जांच से पता चला कि यह सभी आरोपित गोल्डी बराड़ के इशारे पर इस हत्या को अंजाम देने आए थे, लेकिन इससे पहले कि वे अपने मंसूबों में कामयाब हो पाते, उन्हें पकड़ लिया गया।
पुलिस को आरोपित परविंदर उर्फ पिंडु के फोन से एक रिकॉर्डिंग मिली थी, जो गोल्डी बराड़ की आवाज थी। पुलिस ने रिकॉर्डिंग की जांच के लिए फोन को सीएफएसएल (सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी) भेजा। इस रिकॉर्डिंग का मिलान गोल्डी बराड़ की पुलिस के पास पहले से मौजूद एक पुरानी वॉयस रिकॉर्डिंग से किया गया। फॉरेंसिक जांच में यह स्पष्ट हो गया कि यह कॉल रिकॉर्डिंग गोल्डी बराड़ की ही थी। इससे यह साबित हुआ कि गोल्डी बराड़ ने ही गैंगस्टर भुप्पी राणा की हत्या की साजिश रची थी, जिसके लिए उसने अपने गुर्गों को भेजा था।
पिछले साल पुलिस ने इन आरोपितों के खिलाफ चालान दायर किया था। बाद में 6 नवंबर, 2024 को अभियोजन स्वीकृति सहित एक सप्लीमेंट्री चालान भी कोर्ट में पेश हुआ था। अब अर्जी खारिज होने के बाद, इन सभी आरोपितों के खिलाफ मुकदमे की कार्रवाई आगे बढ़ेगी।
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