अयोध्या की पावन धरा पर एक ऐतिहासिक अध्याय उस समय जुड़ गया जब देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राम मंदिर पर धर्म ध्वजा की स्थापना की। यह क्षण न केवल अयोध्या नगरी के लिए बल्कि समूचे सनातन समाज के लिए गौरव और भावुकता से भरा रहा। प्रधानमंत्री ने शास्त्रों में वर्णित अत्यंत शुभ माने जाने वाले अभिजीत मुहूर्त में इस पुनीत कार्य को संपन्न किया। धर्म ध्वजा के फहराए जाने के साथ ही यह दिन सनातन धर्म में आस्था रखने वालों के लिए हमेशा के लिए अविस्मरणीय बन गया। इस महत्वपूर्ण अनुष्ठान के संपन्न होने के उपरांत प्रधानमंत्री ने वहां मौजूद गणमान्य व्यक्तियों और जनसमूह को संबोधित करते हुए अपनी भावनाओं को व्यक्त किया।
अपने संबोधन में नरेन्द्र मोदी ने इस अवसर को भारत की सांस्कृतिक चेतना के लिए एक युगांतकारी घटना बताया। उन्होंने कहा कि आज अयोध्या नगरी भारत की सांस्कृतिक चेतना के एक और शिखर को छू रही है और एक नए उत्कर्ष बिंदु की साक्षी बन रही है। वहां उपस्थित जनसमूह और दुनिया भर में इस घटना को देख रहे हर राम भक्त के मन की स्थिति का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि आज सभी के भीतर एक अपार संतोष और अलौकिक प्रसन्नता का भाव है। यह प्रसन्नता केवल एक मंदिर के निर्माण की नहीं, बल्कि सदियों से चली आ रही प्रतीक्षा के पूर्ण होने की है। प्रधानमंत्री ने भावुक होते हुए कहा कि सदियों की वेदना आज विराम पा रही है। जो संघर्ष और त्याग पीढ़ियों ने देखा था, आज उसे सुखद अंजाम मिला है। सदियों का वह संकल्प, जिसे राम भक्तों ने अपने हृदय में संजोकर रखा था, आज सिद्धि को प्राप्त हो रहा है।
संकल्प की शक्ति पर जोर देते हुए नरेन्द्र मोदी ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण का संकल्प एक ऐसा प्रण था जो समय की तमाम चुनौतियों के बावजूद एक पल के लिए भी डिगा नहीं और न ही कभी टूटा। आज धर्म ध्वजा के पुनर्प्रतिष्ठापन के साथ ही वह अटल संकल्प अपनी पूर्णता को प्राप्त हो गया है। यह ध्वजा केवल एक वस्त्र नहीं है, बल्कि यह उस अटूट विश्वास का प्रतीक है जिसने कठिन समय में भी भक्तों को जोड़े रखा।
मंदिर के शिखर पर लहराती धर्म ध्वजा के महत्व और उसके स्वरूप का वर्णन करते हुए प्रधानमंत्री ने विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि इस ध्वजा का भगवा रंग और इस पर अंकित प्रतीक चिह्न सूर्यवंश की महान परंपरा और थाती का परिचायक है। यह ध्वजा धर्म को प्रतिष्ठापित करेगी और समाज में सात्विक ऊर्जा का संचार करेगी। इस ध्वज की महिमा का बखान करते हुए उन्होंने श्रद्धालुओं के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात कही। उन्होंने कहा कि कई बार भक्त किसी कारणवश मंदिर के गर्भगृह तक नहीं आ पाते या भीड़ के कारण दर्शन नहीं कर पाते। ऐसे भक्तों को निराश होने की आवश्यकता नहीं है। यदि कोई भक्त मंदिर के शिखर पर लहराती इस धर्म ध्वजा को दूर से ही श्रद्धापूर्वक प्रणाम कर लेता है, तो उसे भगवान के दर्शन करने जितना ही पुण्य प्राप्त हो जाता है। यह ध्वजा दूर से ही भक्तों का कल्याण करने वाली है।
अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने इस महायज्ञ में योगदान देने वाले प्रत्येक व्यक्ति को नमन किया। उन्होंने विश्व भर में फैले करोड़ों राम भक्तों को प्रणाम किया जिनकी आस्था ने इस स्वप्न को जीवित रखा। इसके साथ ही, उन्होंने विशेष रूप से उन लोगों का आभार व्यक्त किया जिन्होंने अपने पसीने और कौशल से इस भव्य मंदिर को आकार दिया है। उन्होंने निर्माण कार्य से जुड़े हर एक श्रमिक, कारीगर, शिल्पकार और वास्तुकार के प्रति अपना सम्मान प्रकट करते हुए उन्हें नमन किया, जिनके अथक परिश्रम से यह ऐतिहासिक कार्य संभव हो सका।
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