नई दिल्ली। जस्टिस सूर्यकांत ने आज भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक गरिमामय समारोह में उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल 15 महीने का होगा और वह 9 फरवरी, 2027 तक इस महत्वपूर्ण पद पर सेवाएं देंगे। उन्होंने निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश भूषण आर गवई का स्थान लिया है, जो 65 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद सेवानिवृत्त हो गए हैं।
मुख्य न्यायाधीश भूषण आर गवई ने संविधान के अनुच्छेद 124 की धारा 2 के तहत अगले मुख्य न्यायाधीश के लिए जस्टिस सूर्यकांत के नाम की सिफारिश की थी। इस सिफारिश को राष्ट्रपति ने अपनी मुहर लगाकर स्वीकार किया, जिसके बाद जस्टिस सूर्यकांत की नियुक्ति की औपचारिक घोषणा हुई।
शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इस अवसर पर देश के सर्वोच्च न्यायिक पद पर एक नए युग की शुरुआत हुई, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत ने राष्ट्र की सेवा करने की शपथ ली।
यह परंपरा रही है कि निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को अपना उत्तराधिकारी चुनते हैं। इसी परंपरा का पालन करते हुए, मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई ने सेवानिवृत्त होने से पहले जस्टिस सूर्यकांत का नाम अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में प्रस्तावित किया था।
जस्टिस सूर्यकांत देश के कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसलों में सुप्रीम कोर्ट की बेंच का हिस्सा रहे हैं। उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने अनुच्छेद 370 को रद्द करने के मामले से लेकर बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) पर हुई सुनवाई तक, कई बड़े और संवेदनशील मामलों में अपना योगदान दिया है। विशेष रूप से, उन्होंने चुनाव आयोग को स्पेशल इंटेंसिव रिविजन के दौरान मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख मतदाताओं की सूची जारी करने का आदेश दिया था, जो इस प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी, 1962 को हरियाणा के हिसार में हुआ था। उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की। न्यायाधीश के रूप में अपनी नियुक्ति से पहले, वह हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। उनका न्यायिक करियर लंबा और प्रतिष्ठित रहा है, जिसमें उन्होंने विभिन्न न्यायालयों में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। उनके अनुभव और न्यायिक ज्ञान को देखते हुए, उनसे उम्मीद की जा रही है कि वह भारतीय न्यायपालिका को नई दिशा देंगे और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेंगे। जस्टिस सूर्यकांत के मुख्य न्यायाधीश बनने से न्यायपालिका में एक नई ऊर्जा और दृष्टिकोण आने की संभावना है।
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