Uttarakhand: मुख्यमंत्री धामी ने हिमालय निनाद उत्सव-2025 में की कलाकारों के हित में चार बड़ी घोषणाएं

देहरादून: राज्य स्थापना की रजत जयंती के अवसर पर हिमालयन संस्कृति केंद्र, गढ़ी कैंट देहरादून में आयोजित हिमालय निनाद उत्सव-2025 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रतिभाग किया. इस दौरान उन्होंने कलाकारों का उत्साहवर्धन करते हुए संस्कृति के उत्थान और कलाकारों के हित में चार महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं.

कलाकारों के हित में प्रमुख घोषणाएं:

  1. मासिक पेंशन में वृद्धि: वृद्ध और खराब स्वास्थ्य के चलते जीविकोपार्जन में असमर्थ कलाकारों की मासिक पेंशन 3,000 रुपये से बढ़ाकर 6,000 रुपये प्रतिमाह की गई.

  2. मानदेय में समानता: संस्कृति विभाग में सूचीबद्ध सांस्कृतिक कलाकारों को अब भारत सरकार के उपक्रम नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर की तर्ज पर मानदेय मिलेगा.

  3. जनपद स्तरीय प्रेक्षागृह: प्रदेश के सभी जनपद स्तर पर प्रेक्षागृह का निर्माण किया जाएगा.

  4. राज्य और मंडल स्तरीय संग्रहालय: सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण व प्रदर्शन हेतु प्रदेश में एक राज्य स्तरीय संग्रहालय तथा कुमाऊं व गढ़वाल दोनों मंडलों में एक-एक मंडल स्तरीय संग्रहालय का निर्माण किया जाएगा.

मुख्यमंत्री ने उन वृद्ध एवं आर्थिक रूप से कमजोर कलाकारों तथा लेखकों को विशेष रूप से याद किया, जिन्होंने अपना पूरा जीवन कला, संस्कृति और साहित्य की सेवा में लगा दिया, लेकिन वृद्धावस्था व खराब स्वास्थ्य के कारण जीविकोपार्जन में असमर्थ हो गए हैं. उनकी मासिक पेंशन में वृद्धि कर उन्हें राहत प्रदान की गई है.

हिमालय निनाद उत्सव: एक सांस्कृतिक संगम
मुख्यमंत्री ने हिमालय निनाद महोत्सव-2025 के अवसर पर सभी को राज्य के रजत उत्सव की शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा कि यह उत्सव मात्र एक सांस्कृतिक समारोह नहीं, बल्कि हिमालय की आत्मा, उसकी विविध परंपराओं, लोक धुनों और साझा चेतना का उत्सव है. धामी ने कहा कि उत्तराखंड की स्थापना के 25 वर्ष पूरे हो रहे हैं, यह हमारे राज्य के विकास, संघर्ष और स्वाभिमान का रजत जयंती वर्ष है, और यह केवल उत्सव का नहीं बल्कि आत्ममंथन और नए संकल्प का भी अवसर है.

मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि यह मंच न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे हिमालय क्षेत्र की विविध संस्कृतियों को एक सूत्र में पिरोता है. तिब्बत की आध्यात्मिक परंपराओं, अरुणाचल और मणिपुर के जनजातीय गीत, हिमाचल का खोड़ा नृत्य, असम का बिहू, लद्दाख का जोब्रा नृत्य—सभी ने इस मंच को जीवंत बना दिया है. उन्होंने कहा कि यह सांस्कृतिक संगम इस बात का भी प्रमाण है कि भौगोलिक सीमाएं हमें बांट नहीं सकतीं, हम सब एक साझा विरासत और एक साझा हिमालय की चेतना से जुड़े हुए हैं.

संस्कृति, विमर्श और नवाचार
मुख्यमंत्री ने बताया कि निनाद-2025 में आयोजित परिचर्चा सत्रों ने इस आयोजन को और भी अर्थपूर्ण बना दिया है. हिमालय में रंगमंच, उत्तराखंड का सिनेमा और समाज, लोक भाषा और संस्कृति, नंदा राजजात और हिमालय में खानपान, विरासत और उत्तराधिकार जैसे विषयों पर हुई चर्चाओं ने यह स्पष्ट किया कि हमारी संस्कृति केवल परंपरा में नहीं बल्कि रचनात्मक विमर्श और नवाचार में भी जीवित है.

उन्होंने उन महान आत्माओं को नमन किया जिन्होंने उत्तराखंड राज्य के लिए संघर्ष किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी स्मृति हमें याद दिलाती है कि यह राज्य हमें कितनी कठिनाइयों, बलिदानों और जनसमर्पण के बाद मिला है. उनकी यादों को संजोना और नई पीढ़ी को उस संघर्ष की प्रेरणा देना हम सबका कर्तव्य बनता है.

इस अवसर पर निनाद उत्सव-2025 में राज्यसभा सांसद और पद्म विभूषण शास्त्रीय नृत्यांगना सोनल मानसिंह, राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, उपाध्यक्ष संस्कृत साहित्य एवं कला परिषद मधु भट्ट, संस्कृति सचिव युगल किशोर पंत सहित संबंधित लोग उपस्थित थे.

 

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