Uttarakhand: पंचायत चुनाव- देहरादून में भाजपा को बड़ा झटका, कांग्रेस का कब्जा; कई जिलों में बवाल और अपहरण के आरोप – The Hill News

Uttarakhand: पंचायत चुनाव- देहरादून में भाजपा को बड़ा झटका, कांग्रेस का कब्जा; कई जिलों में बवाल और अपहरण के आरोप

देहरादून। उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण कड़ी में गुरुवार को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को राजधानी देहरादून में करारी हार का सामना करना पड़ा, जबकि कांग्रेस ने अप्रत्याशित जीत दर्ज करते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, दोनों पदों पर कब्जा कर लिया। प्रदेश भर में हुए इन चुनावों का दिन बेहद तनावपूर्ण रहा, जिसमें नैनीताल में सदस्यों के अपहरण के आरोपों को लेकर मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा, तो वहीं कई जगहों पर समर्थकों के बीच हिंसक झड़पें और पथराव भी हुआ। शाम तक घोषित हुए नतीजों ने प्रदेश की राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर दी है, जिसमें कहीं भाजपा का दबदबा दिखा, तो कहीं कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशियों ने दिग्गजों को चौंका दिया।

देहरादून में कांग्रेस का ‘राजतिलक’, भाजपा चारों खाने चित

पूरे प्रदेश की निगाहें राजधानी देहरादून के जिला पंचायत चुनाव पर टिकी थीं, जहाँ भाजपा को अपनी जीत का पूरा भरोसा था। लेकिन नतीजों ने सभी राजनीतिक समीकरणों को ध्वस्त कर दिया। कांग्रेस ने यहां एक बड़ी जीत हासिल करते हुए भाजपा को पटकनी दे दी। जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर कांग्रेस की सुखविंदर कौर ने भाजपा की मधु चौहान को हराया। सुखविंदर कौर को 30 में से 17 वोट मिले, जबकि मधु चौहान को केवल 13 वोटों से संतोष करना पड़ा। यह हार भाजपा के लिए इसलिए भी बड़ी है क्योंकि मधु चौहान, विकासनगर से विधायक मुन्ना सिंह चौहान की पत्नी हैं और निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष भी थीं।

उपाध्यक्ष पद पर भी कांग्रेस का ही परचम लहराया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और चकराता विधायक प्रीतम सिंह के बेटे अभिषेक सिंह ने भाजपा के बीर सिंह चौहान को शिकस्त दी। अभिषेक को 18 वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी को 12 वोट ही मिल पाए। राजधानी में मिली इस दोहरी जीत के बाद कांग्रेस खेमे में जश्न का माहौल है और इसे पूरे राज्य में पार्टी की सबसे बड़ी और सांकेतिक जीत माना जा रहा है। इसके अलावा, देहरादून के डोईवाला और चकराता ब्लॉक प्रमुख पदों पर भी कांग्रेस ने जीत दर्ज कर अपनी पकड़ मजबूत की।

नैनीताल में ‘अपहरण’ का ड्रामा और हाईकोर्ट का दखल

नैनीताल जिला पंचायत का चुनाव किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं रहा। सुबह मतदान शुरू होते ही कांग्रेस ने आरोप लगाया कि उनके आठ जिला पंचायत सदस्यों का भाजपा कार्यकर्ताओं ने पुलिस की मदद से अपहरण कर लिया है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया। इस घटना के बाद कांग्रेस के प्रत्याशी और समर्थक चुनाव का बहिष्कार कर न्याय की गुहार लगाने सीधे उच्च न्यायालय पहुंच गए।

मामले की गंभीरता को देखते हुए, मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने तत्काल सुनवाई की और जिला प्रशासन को कड़े निर्देश दिए। कोर्ट ने डीएम और एसएसपी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने का आदेश दिया और कहा कि कथित रूप से ‘अगवा’ किए गए पांच सदस्यों को तुरंत तलाश कर मतदान स्थल तक लाया जाए। कोर्ट ने अन्य सदस्यों को भी पुलिस सुरक्षा में मतदान कराने और मतदान का समय बढ़ाने का निर्देश दिया। उधर, भाजपा प्रत्याशी दीपा दरमवाल ने भी कांग्रेस नेताओं पर उनके समर्थक सदस्यों के अपहरण का आरोप लगाते हुए थाने में तहरीर दी। इस पूरे घटनाक्रम ने चुनाव को एक बड़े विवाद में बदल दिया।

प्रदेश भर में कहीं खुशी, कहीं गम: मिश्रित रहे नतीजे

जहाँ देहरादून में भाजपा को हार मिली, वहीं कई अन्य जिलों में उसका दबदबा कायम रहा।

  • अल्मोड़ा: यहां जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर भाजपा की हेमा गैंडा ने जीत हासिल की। जिले के 11 ब्लॉक प्रमुख पदों में से 7 पर भाजपा, 3 पर कांग्रेस और 1 पर निर्दलीय प्रत्याशी विजयी हुआ।

  • बागेश्वर: यहां जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, दोनों पदों पर भाजपा ने कब्जा जमाया। अध्यक्ष पद पर शोभा आर्या और उपाध्यक्ष पद पर विशाखा खेतवाल जीतीं। जिले के दोनों ब्लॉक प्रमुख पदों पर भी भाजपा प्रत्याशी ही जीते।

  • पिथौरागढ़: यहां भी भाजपा का प्रदर्शन मजबूत रहा। जिले के धारचूला और कनालीछीना जैसे ब्लॉकों में भाजपा ने जीत दर्ज की, जबकि मुनस्यारी में कांग्रेस और बेरीनाग में निर्दलीय प्रत्याशी ने बाजी मारी।

  • चमोली: यहां जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर दौलत सिंह बिष्ट (भाजपा) और उपाध्यक्ष पद पर लक्ष्मण सिंह (भाजपा) ने जीत हासिल की।

  • रुद्रप्रयाग: यहां जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर भाजपा की पूनम कठैत ने মাত্র एक वोट से रोमांचक जीत दर्ज की। वहीं, जखोली और ऊखीमठ ब्लॉक में कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत हासिल की।

  • पौड़ी: यहां कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को झटका लगा। पोखड़ा, एकेश्वर और बीरोंखाल, तीनों जगहों पर निर्दलीय प्रत्याशी विजयी रहे।

  • चंपावत: लोहाघाट ब्लॉक प्रमुख पद पर भाजपा के महेंद्र सिंह ढेक जीते, जबकि पाटी में कांग्रेस पृष्ठभूमि वाले शंकर सिंह अधिकारी ने बड़ी जीत दर्ज की।

बवाल, पथराव और लाठीचार्ज: चुनावी रंजिश आई सतह पर

चुनाव के दौरान कई जगहों पर हिंसा और तनाव की घटनाएं भी सामने आईं। नैनीताल जिले के बेतालघाट में ब्लॉक प्रमुख चुनाव के मतदान के दौरान छह राउंड फायरिंग होने से अफरातफरी मच गई। वहीं, अल्मोड़ा के द्वाराहाट में मतदान के दौरान भाजपा और कांग्रेस समर्थक आपस में भिड़ गए। दोनों पक्षों में हुई हाथापाई ने जल्द ही पथराव का रूप ले लिया, जिसके बाद पुलिस को स्थिति नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा।

कुल मिलाकर, इन पंचायत चुनावों के नतीजों ने उत्तराखंड की जमीनी राजनीति की एक मिली-जुली तस्वीर पेश की है। राजधानी में मिली करारी हार भाजपा के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है, तो वहीं कांग्रेस के लिए यह जीत एक संजीवनी की तरह है। बड़ी संख्या में निर्दलीय प्रत्याशियों की जीत यह भी दर्शाती है कि स्थानीय चुनावों में व्यक्तिगत चेहरे और समीकरण राष्ट्रीय दलों पर भी भारी पड़ते हैं।

 

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