शिमला/किन्नौर। हिमाचल प्रदेश में मानसून की बारिश एक बार फिर आफत बनकर बरसी है। किन्नौर और शिमला जिलों में बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं ने भारी तबाही मचाई है। किन्नौर में बादल फटने से सतलुज नदी पर बना एक पुल बह गया, वहीं नदी के उफान को देखते हुए शिमला के रामपुर बाजार को एहतियातन खाली करा लिया गया है। रामपुर का ही दारन गांव भूस्खलन के मुहाने पर आ गया है, जिससे सैकड़ों जिंदगियां खतरे में हैं।
किन्नौर में बादल फटा, सतलुज में आया जल प्रलय
आपदा की शुरुआत किन्नौर जिले के सीमावर्ती क्षेत्र ऋषि डोगरी घाटी से हुई, जहाँ ऊपरी हिस्से में बादल फटने से भीषण बाढ़ आ गई। इस बाढ़ ने सतलुज नदी पर बने एक महत्वपूर्ण पुल को अपनी चपेट में ले लिया, जिससे वह बह गया। इस घटना में एक व्यक्ति के घायल होने की भी सूचना है। होजो लुंगपा नाले में आई बाढ़ ने भी भारी नुकसान पहुंचाया है, जिससे सड़क निर्माण कार्य और पूह गांव की पेयजल परियोजना प्रभावित हुई है। सतलुज नदी में पानी का जलस्तर और मलबे की मात्रा खतरनाक स्तर पर पहुंचने के कारण करछम-वांगतू और नाथपा-झाकड़ी बांधों के गेट खोलने पड़े हैं। बारिश के चलते पागल नाला, नाथपा और निगुलसरी के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-5 भी अवरुद्ध हो गया है।
रामपुर में बाढ़ का खतरा, खाली कराए गए घर-दुकानें
सतलुज नदी में बढ़े जलस्तर का सीधा असर शिमला जिले के रामपुर उपमंडल पर पड़ा है। बाढ़ के खतरे को देखते हुए प्रशासन ने रामपुर बाजार में 13 घर और 40 दुकानों को तुरंत खाली करवा दिया है। रामपुर के ही पंद्रह-बीस क्षेत्र की नंती खड्ड में आई बाढ़ ने भी भारी तबाही मचाई है। यहां चार पुल, दो मकान, पांच दुकानें और सेब के कई बगीचे बाढ़ में बह गए हैं। एक छोटे बिजली प्रोजेक्ट को भी नुकसान पहुंचा है।
भूस्खलन की जद में दारन गांव, 300 जिंदगियां खतरे में
वहीं, लगातार हो रही भारी वर्षा ने रामपुर उपमंडल के दारन गांव को भूस्खलन के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है। गांव की मुख्य सड़क धंस गई है और उसमें गहरी और चौड़ी दरारें पड़ गई हैं, जिससे गांव के लगभग 300 लोगों की जान खतरे में है। पंचायत प्रधान त्रिलोक कुमार ने बताया कि ग्रामीण डर के साये में रातें गुजारने को मजबूर हैं। यह संकट तब और बढ़ गया है जब 20 अगस्त से क्षेत्र में सेब सीजन शुरू होने वाला है। सड़क के अभाव में बागबानों के लिए 25 हजार से अधिक सेब की पेटियों को मंडियों तक पहुंचाना एक बड़ी चुनौती बन गया है।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय विधायक और सातवें वित्तायोग के अध्यक्ष नंद लाल ने एसडीएम हर्ष अमरेंद्र सिंह के साथ मौके का जायजा लिया। उन्होंने लोक निर्माण विभाग, जलशक्ति विभाग और वन विभाग को आपसी समन्वय स्थापित कर गांव को बचाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास करने के निर्देश दिए हैं। इससे पहले ग्रामीण लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह से भी मिलकर अपनी समस्या बता चुके हैं।
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