मंडी/शिमला।
हिमाचल प्रदेश में भारी बरसात के बाद मची तबाही के बीच, मंडी जिले के पंडोह बांध में बहकर आई भारी मात्रा में लकड़ी के मामले ने एक गंभीर विवाद को जन्म दे दिया है। इस घटना के 12 दिन बाद, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी सीआईडी (आपराधिक जांच विभाग) जांच करवाने का फैसला किया है। यह कदम राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल द्वारा इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से चिंता जताए जाने के बाद उठाया गया है।
क्या है पूरा मामला?
गत 24 जून को कुल्लू घाटी में बादल फटने के बाद ब्यास नदी में आई विनाशकारी बाढ़ अपने साथ भारी मात्रा में लकड़ी के स्लीपर, लट्ठे और ठेले बहाकर ले आई थी। यह सारी लकड़ी मंडी जिले में स्थित पंडोह बांध में आकर जमा हो गई, जिससे बांध की पूरी सतह लकड़ी से ढक गई। इस भयावह मंजर की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से प्रसारित हुए, जिसने पर्यावरणविदों और आम जनता के बीच एक बड़ी बहस छेड़ दी। मामले ने तब और तूल पकड़ा जब गत दिवस राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने इस पर टिप्पणी करते हुए इसे एक अत्यंत चिंताजनक विषय बताया।
आखिर किसकी थी यह लकड़ी? सीआईडी करेगी जांच
अब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस पर संज्ञान लेते हुए सीआईडी जांच के निर्देश जारी किए हैं। इस जांच का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना है कि आखिर इतनी बड़ी मात्रा में यह लकड़ी कहां से आई। सीआईडी कई कोणों से इस मामले की पड़ताल करेगी:
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अवैध वन कटान की आशंका: सबसे बड़ी आशंका यह है कि यह लकड़ी जंगल में बड़े पैमाने पर हुए अवैध वन कटान का परिणाम हो सकती है, जिसे तस्करों ने छुपाकर रखा था और बाढ़ उसे बहा ले गई।
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वन विभाग की भूमिका: जांच में यह भी पता लगाया जाएगा कि क्या यह लकड़ी वन विभाग के किसी डिपो या स्टॉक से बहकर आई है।
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प्राकृतिक या मानव-निर्मित: क्या यह केवल सूखी, गली-सड़ी या प्राकृतिक रूप से गिरी हुई लकड़ी थी जो बाढ़ के तेज बहाव में बह गई, या इसके पीछे कोई संगठित मानवीय गतिविधि है?
राज्यपाल ने जताई थी गहरी चिंता
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने इस घटना पर कठोर टिप्पणी करते हुए कहा था, “पंडोह डैम में बहकर आई लकड़ी चिंता की बात है। इस विनाश के लिए हम ही जिम्मेदार हैं। जंगल काटने वाले किसी और को नहीं, अपने परिवार को ही धोखा दे रहे हैं।” उन्होंने अपने डोडरा क्वार के दौरे का जिक्र करते हुए कहा कि वहां भी उन्होंने मोटे-मोटे पेड़ों को कटा हुआ पाया था, जिसका किसी के पास कोई जवाब नहीं था। उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य के सभी विभागों को मिलकर पर्यावरण संरक्षण के लिए एक ठोस और प्रभावी नीति बनानी चाहिए।
यह सीआईडी जांच अब केवल लकड़ी के स्रोत का पता लगाने तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह हिमाचल में पर्यावरण के साथ हो रहे खिलवाड़ और अवैध वन कटान के गंभीर मुद्दे पर भी प्रकाश डालेगी।