कीव। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच से एक बड़ी खबर सामने आई है, जो रूस के लिए एक बड़ा सैन्य और मनोवैज्ञानिक झटका साबित हो सकती है। यूक्रेनी सेना ने दावा किया है कि उसने रूस के कुर्स्क क्षेत्र में एक सफल मिसाइल हमला कर रूसी नौसेना के उप प्रमुख (डिप्टी चीफ) मेजर जनरल मिखाइल गुडकोव को मार गिराया है। इस हमले में गुडकोव के साथ 10 अन्य रूसी सैनिकों की भी मौत हो गई है।
इस हमले की पुष्टि यूक्रेन की सेना से जुड़े एक टेलीग्राम चैनल पर की गई है, जिसमें मिखाइल गुडकोव के मारे जाने की बात कही गई है। रिपोर्ट के अनुसार, यह हमला यूक्रेन की सीमा से लगे रूस के कुर्स्क क्षेत्र के कोरेनेवो इलाके में एक कमांड पोस्ट पर किया गया, जहां मेजर जनरल गुडकोव उस समय तैनात थे। आशंका जताई जा रही है कि यह एक सटीक मिसाइल हमला था, जिसने कमांड पोस्ट को पूरी तरह से तबाह कर दिया। हालांकि, इस दावे पर अभी तक रूसी रक्षा मंत्रालय या यूक्रेन की ओर से कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है।
कौन थे मेजर जनरल गुडकोव? पुतिन के थे खास
मेजर जनरल मिखाइल गुडकोव रूसी सेना के एक बेहद अनुभवी और सम्मानित अधिकारी थे। उनकी मौत रूस के लिए इसलिए भी एक बड़ा नुकसान है क्योंकि उन्हें सीधे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का करीबी माना जाता था। क्रेमलिन की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, राष्ट्रपति पुतिन ने इसी साल मार्च में गुडकोव को उनकी काबिलियत और नेतृत्व क्षमता को देखते हुए नौसेना का डिप्टी कमांडर-इन-चीफ नियुक्त किया था।
गुडकोव को यूक्रेन के खिलाफ चल रहे इस सैन्य अभियान में उनकी बहादुरी के लिए कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था। हालांकि, सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है कि यूक्रेन ने उन पर गंभीर युद्ध अपराधों का आरोप लगाया था। हमले के समय, गुडकोव रूस के प्रशांत बेड़े की एक मरीन ब्रिगेड का नेतृत्व कर रहे थे, जो कुर्स्क में यूक्रेनी सेना का मुकाबला कर रही थी।
कुर्स्क में क्यों तैनात थे नौसेना के जनरल?
यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि नौसेना के एक उच्च-स्तरीय जनरल रूस के अंदर कुर्स्क जैसे जमीनी इलाके में क्या कर रहे थे। इसका जवाब अगस्त 2024 की घटनाओं में छिपा है, जब यूक्रेनी सेना ने एक अप्रत्याशित और साहसी कदम उठाते हुए रूस के कुर्स्क क्षेत्र में घुसपैठ कर कुछ हिस्सों पर कब्जा कर लिया था। यह रूस के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी का कारण बना था। इसी कब्जे वाले इलाके को वापस लेने और यूक्रेनी सेना को पीछे धकेलने के लिए रूस ने अपनी सबसे अनुभवी यूनिट्स को वहां तैनात किया था, जिसमें गुडकोव की मरीन ब्रिगेड भी शामिल थी। गुडकोव को वहां पूरे ऑपरेशन की कमान संभालने और रणनीति बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी। उनका कमांड पोस्ट पर मारा जाना यह दर्शाता है कि यूक्रेन के पास सटीक खुफिया जानकारी थी और वह रूस के अंदर उच्च-मूल्य वाले लक्ष्यों को भी निशाना बनाने में सक्षम है।
हथियारों की कमी के बीच यूक्रेन का बड़ा पलटवार
यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब यूक्रेन लगातार पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका से हथियारों की आपूर्ति में कमी की शिकायत कर रहा है। हाल ही में, राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा था कि अगर अमेरिका से हथियारों की आपूर्ति रुकती है, तो इसका सीधा फायदा रूस को मिलेगा। उन्होंने स्वीकार किया था कि यूक्रेन के पास हथियारों की कमी हो रही है, लेकिन साथ ही यह भी कहा था कि उनकी सेना के पास अभी भी रूस से लड़ने के लिए कई विकल्प मौजूद हैं।
यह सफल हमला जेलेंस्की के इसी बयान को पुष्ट करता है। भले ही यूक्रेन हथियारों की कमी से जूझ रहा हो, लेकिन उसकी सेना अभी भी अपनी सटीक खुफिया जानकारी और रणनीतिक हमलों से रूस को भारी नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखती है।
वर्तमान में, युद्ध की सबसे बड़ी लड़ाई पूर्वी यूक्रेन के डोनेट्स्क क्षेत्र में लड़ी जा रही है, जहां रूसी सेना लगातार आगे बढ़ रही है। रिपोर्टों के अनुसार, रूसी सेना यूक्रेन के उत्तरी क्षेत्र में 7 किलोमीटर तक अंदर दाखिल हो चुकी है। ऐसे में, मेजर जनरल गुडकोव जैसे वरिष्ठ अधिकारी की मौत यूक्रेनी सेना के लिए एक बड़ा मनोबल बढ़ाने वाला काम करेगी, जबकि रूसी खेमे के लिए यह एक गंभीर चिंता का विषय है।
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