नई दिल्ली। भारत की स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी की ताकत अब दुनिया भर में अपनी पहचान बना रही है। लैटिन अमेरिका के प्रमुख देश ब्राजील ने भारत की अत्याधुनिक आकाश वायु रक्षा प्रणाली में गहरी रुचि दिखाई है। यह वही मिसाइल प्रणाली है जिसने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान दुश्मन की मिसाइलों और ड्रोन को सफलतापूर्वक मार गिराकर अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया था। ब्राजील की यह रुचि भारत के लिए एक बड़ी रणनीतिक और कूटनीतिक सफलता मानी जा रही है।
यह महत्वपूर्ण घटनाक्रम इस सप्ताह ब्राजील में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से ठीक पहले सामने आया है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिस्सा लेंगे। उम्मीद है कि इस सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और ब्राजीलियाई नेतृत्व के बीच द्विपक्षीय वार्ता में रक्षा सहयोग एक प्रमुख एजेंडा होगा। यह वार्ता दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को एक नई दिशा दे सकती है।
आधिकारिक पुष्टि और अन्य रक्षा सौदों पर नजर
विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व) पी. कुमारन ने एक प्रेस वार्ता में इस बात की पुष्टि की है कि ब्राजील ने भारत निर्मित कई सैन्य उपकरणों को हासिल करने में अपनी इच्छा व्यक्त की है। उन्होंने बताया, “ब्राजील सरकार ने युद्ध के मैदान से संबंधित संचार प्रणाली, गश्ती जहाजों, स्कार्पीन-श्रेणी की पनडुब्बियों के रखरखाव के लिए साझेदारी, गरुड़ आर्टिलरी गन और विशेष रूप से आकाश वायु रक्षा प्रणाली में गहरी रुचि दिखाई है।” यह दर्शाता है कि ब्राजील भारत को न केवल एक व्यापारिक भागीदार बल्कि एक विश्वसनीय रक्षा सहयोगी के रूप में भी देख रहा है। पीएम मोदी की यात्रा के दौरान इन मुद्दों पर संयुक्त अनुसंधान, विकास और प्रशिक्षण जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा होने की संभावना है।
‘आकाश’ मिसाइल प्रणाली: भारत का रक्षा कवच
ब्राजील की विशेष रुचि का केंद्र बनी ‘आकाश’ मिसाइल प्रणाली भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित एक स्वदेशी चमत्कार है। यह सतह से हवा में मार करने वाली एक मध्यम दूरी की मिसाइल प्रणाली है, जो 25 किलोमीटर की दूरी तक किसी भी हवाई लक्ष्य, जैसे कि लड़ाकू विमान, ड्रोन या मिसाइल को भेदने में सक्षम है। इसकी सबसे बड़ी खासियत इसका मोबाइल होना है, जिसे आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान इसकी सटीकता और मारक क्षमता ने सभी को प्रभावित किया था, जिसके बाद कई देशों का ध्यान इस पर गया है।
यह संभावित सौदा भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है, जो भारत को एक प्रमुख रक्षा आयातक से एक महत्वपूर्ण रक्षा निर्यातक के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह न केवल भारत-ब्राजील के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक रक्षा बाजार में भारत की बढ़ती साख और आत्मनिर्भरता को भी प्रमाणित करेगा।
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