नई दिल्ली।
देश की अगली राष्ट्रीय जनगणना को लेकर चल रहा लंबा इंतजार आखिरकार समाप्त हो गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को एक आधिकारिक गजट अधिसूचना जारी कर जनगणना की तारीखों और प्रक्रिया की घोषणा कर दी है। जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत जारी इस अधिसूचना के अनुसार, देश की अगली जनगणना साल 2027 में आयोजित की जाएगी। यह जनगणना कई मायनों में ऐतिहासिक होगी, क्योंकि यह 16 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद हो रही है और इसमें पहली बार जाति आधारित आंकड़े भी जुटाए जाएंगे।
अलग-अलग क्षेत्रों के लिए अलग-अलग समय-सीमा
अधिसूचना के मुताबिक, देश के अधिकांश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जनगणना के लिए 1 मार्च 2027 की मध्यरात्रि को संदर्भ तिथि (reference date) माना जाएगा। इसका अर्थ है कि इस समय पर देश की जनसंख्या और सामाजिक स्थिति का जो भी आंकड़ा होगा, उसे ही अंतिम माना जाएगा।
हालांकि, देश के कुछ ठंडे और बर्फीले क्षेत्रों में मौसम की चुनौतियों को देखते हुए यह प्रक्रिया पहले शुरू की जाएगी। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख और उत्तराखंड के बर्फबारी वाले इलाकों में जनगणना के लिए संदर्भ तिथि 1 अक्टूबर 2026 निर्धारित की गई है, ताकि खराब मौसम से पहले ही वहां आंकड़े जुटाने का काम पूरा किया जा सके।
दो चरणों में पूरी होगी प्रक्रिया
जनगणना का यह विशाल कार्य दो मुख्य चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण को ‘हाउसलिस्टिंग ऑपरेशन’ (HLO) कहा जाता है। इसके तहत जनगणना कर्मी हर घर जाकर उसकी आवासीय स्थिति, घर में उपलब्ध संपत्ति (जैसे टीवी, फ्रिज, वाहन) और बुनियादी सुविधाओं (जैसे शौचालय, पीने का पानी, बिजली) का विवरण एकत्र करेंगे।
दूसरे चरण में ‘जनसंख्या गणना’ (PE) होगी, जिसमें प्रत्येक घर के हर एक सदस्य की विस्तृत जानकारी ली जाएगी। इसमें व्यक्ति की आयु, लिंग, वैवाहिक स्थिति, शिक्षा, व्यवसाय, धर्म, और अन्य सामाजिक-आर्थिक व सांस्कृतिक विवरण शामिल होंगे। जनगणना की पूरी प्रक्रिया लगभग 21 महीनों में संपन्न होगी, और इसका प्राथमिक डेटा मार्च 2027 तक जारी होने की उम्मीद है। हालांकि, विस्तृत और अंतिम रिपोर्ट साल के अंत तक आएगी।
डिजिटल और जातिगत आंकड़ों से होगी लैस
आगामी जनगणना की सबसे बड़ी विशेषता इसका पूरी तरह से डिजिटल होना है। आंकड़े जुटाने के लिए जनगणना कर्मी पारंपरिक कागज-कलम की जगह एक विशेष मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करेंगे। इससे आंकड़ों की सटीकता बढ़ेगी और प्रक्रिया में भी तेजी आएगी। इसके अलावा, नागरिकों को ‘स्व-गणना’ (self-enumeration) का विकल्प भी दिया जाएगा, जिससे वे ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से अपनी जानकारी खुद दर्ज कर सकेंगे।
इस जनगणना का एक और महत्वपूर्ण पहलू जातिवार गणना का समावेश है। यह मांग कई दशकों से की जा रही थी। जातिगत आंकड़े देश में सामाजिक संरचना को समझने और आरक्षण जैसी कल्याणकारी नीतियों को अधिक प्रभावी ढंग से लागू करने में सरकार की मदद करेंगे।
गौरतलब है कि भारत में आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी। 2021 में होने वाली जनगणना को कोरोना महामारी के कारण स्थगित करना पड़ा था। यह भारत के इतिहास की 16वीं और स्वतंत्रता के बाद 8वीं जनगणना होगी, जिसे सफल बनाने के लिए लगभग 34 लाख गणनाकारों और पर्यवेक्षकों की एक विशाल टीम तैनात की जाएगी।
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