आखिर मृत्युंजय मिश्रा पर क्यों मेहरबान है सरकार 

देहरादून। 
भ्रष्टाचार के आरोप में जेल की हवा खा चुके मृत्युंजय मिश्रा को धामी सरकार ने उत्तराखंड आयुर्वेदिक विवि का कुलसचिव बनाकर संस्थान में नया विवाद खड़ा कर दिया। मिश्रा को हटाने के लिए वहां के कुलपति प्रोफेसर सुनील जोशी अड़ गए हैं। शासन से मिश्रा को हटाने के लिए पत्र लिखने के बाद जब बात नहीं बनी तो कुलपति ने आदेश जारी किये हैं कि कुलसचिव को कोई फाइल नहीं भेजी जाए। उधर, विवि में मची खींचतान के बीच शासन और सरकार तमाशबीन बनी हुई है। वहीं नियमों को दरकिनार कर मिश्रा को तैनाती देने  वजह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई हैं। 
मिश्रा के बतौर आयुर्वेदिक विवि के कुलसचिव रहते ही उनपर करोड़ों के भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। उनकी विजिलेंस जांच कर गिरफ्तारी हुई थी। दो साल तक मिश्रा जेल में रहे। इसके बाद शासन ने उनकी कुलसचिव पद पर तैनाती से निलंबित कर मूल विभाग उच्च शिक्षा में भेजने का निर्णय लिया था। जेल से बाहर निकलने के बाद उन्हें शासन ने निलंबन बहाल करते हुए उच्च शिक्षा विभाग में भेजने के बजाए दोबारा कुलसचिव बना दिया। आयुष मंत्री हरक सिंह रावत ने इसका अनुमोदन किया जिसके बाद शासनादेश जारी हुआ। अब आयुर्वेदिक विवि के कुलपति प्रो जोशी ने शासन को पत्र लिखकर मिश्रा की नियुक्ति को अवैध ठहराया है। उन्होंने तुरंत मिश्रा को हटाने के लिए निवेदन किया है। शासन के संज्ञान नहीं लेने पर कुलपति ने नए आदेश जारी किये हैं कि कुलसचिव को कोई पत्रावली न भेजी जाए। इसके बावजूद सरकार कोई कदम नहीं उठा रही। 

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