अधूरा रह गया सीडीएस बिपिन रावत का पैतृक गांव में बसने का सपना – The Hill News

अधूरा रह गया सीडीएस बिपिन रावत का पैतृक गांव में बसने का सपना

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कोटद्वार (पौड़ी गढ़वाल)। द्वारीखाल ब्लाक की ग्रामसभा बिरमोली के तोकग्राम सैंणा निवासी भरत सिंह रावत 29 अप्रैल 2018 का वह दिन आज भी नहीं भूले, जब उनके भतीजे जनरल बिपिन रावत ने सैंणा पहुंचकर वहां मकान बनाने की इच्छा जताई थी। तब जनरल रावत सेनाध्यक्ष के पद को सुशोभित कर रहे थे। उन्होंने गांव में अपनी पैतृक जमीन भी देखी और भविष्य की योजनाओं पर अपने चाचा से चर्चा की। इस दौरान जनरल रावत व उनकी पत्नी मधुलिका की सादगी को देखकर ग्रामीण उनके मुरीद हो गए। 29 अप्रैल 2018 को दोपहर बाद सवा तीन बजे तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल रावत, पत्नी मधुलिका रावत के साथ अपने पैतृक गांव सैंणा पहुंचे। ग्रामीण गांव से करीब एक किमी ऊपर सड़क में अपने लाडले का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। वहां ग्रामसभा बिरमोली के साथ ही आसपास के गांवों से भी ग्रामीण पहुंचे हुए थे। उनसे जनरल रावत बेहद आत्मीयता से मिले। इसके बाद जब वे गांव पहुंचे तो चाचा भरत सिंह रावत व हरिनंदन सिंह रावत ने परिवार के साथ उनकी आगवानी की। वहां एक कक्ष में पूरे परिवार के सदस्य बैठे और एक-दूसरे का हालचाल पूछने का सिलसिला शुरू हुआ।

भरत सिंह बताते हैं कि वार्ता के दौरान वे खाली हो चुके गांव को लेकर काफी गंभीर नजर आए। साथ ही वन्य जीवों के कारण छूट रही खेती पर भी उन्होंने ङ्क्षचता जताई। जनरल रावत का कहना था कि ऐसी योजनाएं बनें, जिससे गांव का पलायन रुक सके। इस दौरान उन्होंने अपनी पैतृक भूमि भी देखी और गांव में आवास बनाने की बात कही।

गांव तक नहीं पहुंच पाई सड़क

गांव भ्रमण के दौरान जनरल रावत ने चाचा भरत सिंह को बताया था कि उन्होंने उत्तराखंड सरकार को पत्र लिखकर गांव को सड़क से जोड़ने का आग्रह किया है। इस दौरान वहां मौजूद सरकारी अधिकारियों ने कहा था कि अगले एक सप्ताह में गांव को सड़क से जोड़ दिया जाएगा। चाचा भरत सिंह ने बताया कि जनरल रावत के पत्र के बाद शासन ने ग्राम सैंणा को सड़क से जोड़ने के लिए बिरमोलीखाल-सैंणा-मदनपुर-डाडामंडी मोटर मार्ग को स्वीकृति प्रदान कर दी थी। सड़क का सर्वे भी हुआ, लेकिन निर्माण नहीं हो पाया।

 

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