Bangladesh: बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ ईशनिंदा के इकहत्तर मामले और घरों को आग लगाने की घटनाओं से दहशत – The Hill News

Bangladesh: बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ ईशनिंदा के इकहत्तर मामले और घरों को आग लगाने की घटनाओं से दहशत

नई दिल्ली। बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद से अल्पसंख्यक समुदाय खासकर हिंदुओं पर हमलों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। ह्यूमन राइट्स कांग्रेस फॉर बांग्लादेश माइनॉरिटीज यानी एचआरसीबीएम की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इस साल जून से दिसंबर के बीच बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ ईशनिंदा के आरोपों से जुड़ी कम से कम 71 घटनाएं सामने आई हैं। यह रिपोर्ट बताती है कि मुस्लिम बहुल देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा एक बड़ा सवाल बन गई है।

ताजा मामला पीरोजपुर जिले के डुमरीताला गांव का है जहां एक हिंदू परिवार के कम से कम पांच घरों को आग के हवाले कर दिया गया। इसे अल्पसंख्यकों पर एक सोची समझी साजिश के तहत किया गया टारगेटेड हमला माना जा रहा है। रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि हमलावरों ने कथित तौर पर एक कमरे में कपड़े ठूंसकर उनमें आग लगा दी जिससे देखते ही देखते आग ने पूरे घर को अपनी चपेट में ले लिया।

राजधानी ढाका से लगभग 240 किलोमीटर दूर हुई इस घटना ने साहू परिवार को दहशत में डाल दिया है। एनडीटीवी के मुताबिक परिवार के सदस्य अभी भी इतने डरे हुए हैं कि उन्होंने कैमरे के सामने आने से मना कर दिया। उन्होंने बताया कि जब सुबह आग लगी तो उनकी आंख खुली लेकिन वे बाहर नहीं निकल पाए क्योंकि दरवाजे बाहर से बंद कर दिए गए थे। किसी तरह वे बांस की बाड़ काटकर भागने में कामयाब रहे और अपनी जान बचाई। हालांकि इस आगजनी में उनके घर का सारा सामान जलकर खाक हो गया और पालतू जानवर भी मारे गए।

पीरोजपुर के पुलिस अधीक्षक मोहम्मद मंजूर अहमद सिद्दीकी ने घटनास्थल का दौरा किया और पांच संदिग्धों को गिरफ्तार करने की पुष्टि की है। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें स्थानीय लोग आग बुझाने की कोशिश करते दिख रहे हैं। एचआरसीबीएम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि ईशनिंदा के आरोप लगाकर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। संस्था ने चांदपुर, चट्टोग्राम, दिनाजपुर, लालमोनिरहाट, सुनामगंज, खुलना, कोमिला, गाजीपुर, टांगेल और सिलहट जैसे 30 से ज्यादा जिलों में ऐसी घटनाओं को डॉक्यूमेंट किया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ये घटनाएं कोई इक्का दुक्का मामले नहीं हैं बल्कि यह एक सुनियोजित पैटर्न है। ईशनिंदा के झूठे आरोपों का इस्तेमाल कर पुलिस कार्रवाई करवाई जाती है और भीड़ द्वारा हिंसा को अंजाम दिया जाता है जिससे अल्पसंख्यक समुदाय लगातार कमजोर और असुरक्षित महसूस कर रहा है।

 

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