चंडीगढ़। पंजाब सरकार ने 30 दिसंबर को विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाने का फैसला किया है जिसमें राज्य से जुड़े कई अहम और भावनात्मक मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। इस सत्र की शुरुआत दशमेश पिता के छोटे साहिबजादों बाबा फतेह सिंह और बाबा जोरावर सिंह की महान शहादत को नमन करने के साथ होगी। इसके बाद सदन में केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा योजना का नाम बदलने के प्रस्ताव पर जोरदार बहस होने की उम्मीद है।
दरअसल केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा का नाम बदलकर विकसित भारत गारंटी रोजगार एवं आजीविका मिशन (ग्रामीण) कर दिया है जिसे संक्षेप में विकसित भारत जी राम जी योजना कहा जा रहा है। इस बदलाव को राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल चुकी है लेकिन पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार इस फैसले से बेहद खफा है। इसी विरोध को दर्ज कराने के लिए 30 दिसंबर को बुलाए गए विशेष सत्र में राज्य सरकार केंद्र के खिलाफ एक निंदा प्रस्ताव भी ला सकती है।
हालांकि जानकारों का मानना है कि राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद अब कानूनी तौर पर राज्य सरकारों के पास ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं। लेकिन पंजाब सरकार का विरोध केवल नाम बदलने तक सीमित नहीं है। राज्य सरकार इस योजना के तहत राज्य की हिस्सेदारी यानी शेयर को 10 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी करने का भी पुरजोर विरोध कर रही है। पहले इस योजना में केंद्र और राज्य का अनुपात 90:10 का था जो अब बदलकर 60:40 हो गया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान का कहना है कि इससे राज्य सरकार के खजाने पर अचानक भारी बोझ पड़ेगा।
इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में भी ठनी हुई है। कांग्रेस पार्टी जहां हर जिले में इस बदलाव के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है वहीं भाजपा लगातार पंजाब सरकार को घेर रही है। भाजपा के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने सरकार पर पलटवार करते हुए कहा है कि मनरेगा के तहत 100 दिन का रोजगार देना राज्य सरकार की जिम्मेदारी होती है। लेकिन आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में पंजाब सरकार मात्र 26 दिन का ही रोजगार दे पाई है जबकि पिछले तीन वर्षों का औसत महज 37 दिन रहा है। ऐसे में विधानसभा के इस विशेष सत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक होना तय माना जा रहा है।