नई दिल्ली। कंगाली की कगार पर खड़े पाकिस्तान में सरकार से ज्यादा सेना का दबदबा एक बार फिर साबित हो गया है। पाकिस्तान की शहबाज सरकार ने देश के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की शक्तियों में अभूतपूर्व इजाफा कर दिया है। सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए मुनीर को औपचारिक रूप से चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (सीडीएफ) के नए पद पर नियुक्त कर दिया है। इस नियुक्ति के साथ ही अब पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का ‘बटन’ सीधे तौर पर मुनीर के हाथों में आ गया है।
तीनों सेनाओं के बीच करेंगे समन्वय
दरअसल शहबाज सरकार ने पिछले महीने ही इस नए पद का सृजन किया था। इस पद का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान की तीनों सेनाओं यानी थलसेना, नौसेना और वायुसेना के बीच बेहतर तालमेल और समन्वय स्थापित करना है। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, मुनीर की यह नियुक्ति अगले पांच वर्षों के लिए की गई है। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर के कार्यकाल में भी दो साल का विस्तार किया है।
खत्म किया पुराना पद
रिपोर्ट्स के मुताबिक सीडीएफ का पद पहले से मौजूद ‘चेयरमैन ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी’ की जगह लेगा। हाल ही में पुराने पद को समाप्त कर दिया गया था। मुनीर को सीडीएफ बनाए जाने पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने भी अपनी मंजूरी दे दी है, जिसके बाद उन अटकलों पर विराम लग गया है कि उनकी नियुक्ति में देरी हो सकती है।
न्यूक्लियर पावर पर मुनीर का कब्जा
चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज बनने के बाद आसिम मुनीर के पास असीमित शक्तियां आ गई हैं। चूंकि पाकिस्तान एक परमाणु संपन्न देश है, ऐसे में यह नया सैन्य पद बेहद संवेदनशील और ताकतवर माना जा रहा है। अब मुनीर न केवल तीनों सेनाओं पर अपना नियंत्रण रखेंगे बल्कि देश के परमाणु हथियारों और मिसाइल सिस्टम का प्रबंधन भी उन्हीं के पास होगा। इस फैसले ने मुनीर को पाकिस्तान का सबसे शक्तिशाली सैन्य अधिकारी बना दिया है।
हार को बताया जीत और मिला इनाम
मुनीर की इस ताजपोशी के पीछे की कहानी भी दिलचस्प है। इसी साल मई में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान को बुरी तरह धूल चटा दी थी। हालात यह थे कि पाकिस्तानी डीजीएमओ को अंत में भारत से संघर्ष रोकने की गुहार लगानी पड़ी थी। इसके बावजूद आसिम मुनीर ने अपने देश की जनता के सामने झूठ परोसा और दावा किया कि पाकिस्तान ने जीत दर्ज की है। इस झूठे प्रचार से खुश होकर प्रधानमंत्री शहबाज ने उन्हें फील्ड मार्शल बना दिया था। तभी से मुनीर पाकिस्तान के अघोषित राजा की तरह व्यवहार कर रहे हैं।
अय्यूब खान के बाद दूसरे फील्ड मार्शल
पाकिस्तान के इतिहास में यह केवल दूसरा मौका है जब किसी को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया गया है। इससे पहले यह सम्मान जनरल अय्यूब खान को मिला था, जिन्होंने 1965 के युद्ध का नेतृत्व किया था। 1965 में भी पाकिस्तान को करारी हार मिली थी, लेकिन अपनी शर्मिंदगी छिपाने के लिए सरकार ने अय्यूब खान को सम्मानित किया था। ठीक वही इतिहास अब मुनीर के साथ दोहराया गया है।
आजीवन वर्दी और गिरफ्तारी से छूट
आसिम मुनीर पर शहबाज सरकार की मेहरबानी यहीं नहीं रुकी। हाल ही में पाकिस्तानी संसद ने एक ऐसा कानून पारित किया है जिसके तहत मुनीर आजीवन वर्दी में रह सकेंगे और उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकेगा। विपक्ष और खासकर जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि किसी सैन्य अधिकारी को इतने व्यापक अधिकार और सुरक्षा देना लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर करने जैसा है।
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