देहरादून: उत्तराखंड के विभिन्न इलाकों में भालू के हमलों में वृद्धि को देखते हुए राज्य सरकार ने गंभीरता से संज्ञान लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन घटनाओं पर लगाम लगाने के उद्देश्य से वन विभाग को तुरंत कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इन निर्देशों के बाद वन विभाग सक्रिय हो गया है। प्रमुख सचिव वन, आरके सुधांशु की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई एक बैठक में इस समस्या को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए विभागीय अधिकारियों को प्रभावी कार्रवाई और निरंतर निगरानी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया।
मुख्यमंत्री धामी और वन मंत्री सुबोध उनियाल के निर्देशों के अनुपालन में, प्रमुख सचिव वन सुधांशु ने विभाग के प्रमुख (पीसीसीएफ) डॉ. समीर सिन्हा, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक आरके मिश्र और भालू प्रभावित क्षेत्रों के संभागीय वनाधिकारियों (डीएफओ) के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने समस्या से निपटने के लिए उठाए गए मौजूदा कदमों की भी जानकारी ली।
जनजागरूकता पर विशेष जोर और वित्तीय आवंटन
वन विभाग के मुखिया डॉ. सिन्हा ने डीएफओ को विशेष रूप से जनजागरूकता अभियानों पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया। उन्होंने बताया कि मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए आवश्यक उपकरणों की खरीद हेतु विभिन्न वन प्रभागों को 50 लाख रुपये की धनराशि आवंटित की जा रही है।
संवेदनशील स्थलों की पहचान और तकनीकी उपयोग
मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक मिश्र ने सभी डीएफओ को ऐसे संवेदनशील स्थानों की पहचान करने के लिए कहा जहां भालुओं का खतरा अधिक है। इन स्थलों पर कैमरा ट्रैप, ड्रोन और एनाइडर जैसी तकनीकों का उपयोग करने के साथ-साथ वन कर्मियों की गश्त बढ़ाने के निर्देश भी दिए गए।
उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि आबादी वाले क्षेत्रों में वन्यजीवों की आवाजाही की सूचना देने के लिए एकीकृत हेल्पलाइन नंबर-1926 का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। फील्ड में तैनात कर्मियों को अपने मोबाइल फोन पर हर समय अलर्ट रहने और किसी भी घटना की सूचना मिलने पर डीएफओ को अनिवार्य रूप से घटनास्थल का दौरा करने का निर्देश दिया गया। इसके अतिरिक्त, प्रभावित व्यक्तियों को नियमानुसार अनुग्रह राशि उपलब्ध कराने और संघर्ष न्यूनीकरण संबंधी विस्तृत रिपोर्ट मुख्यालय भेजने के आदेश भी जारी किए गए हैं।