नई दिल्ली। उत्तराखंड के तीन दिवसीय दौरे के दूसरे दिन यानी आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राज्य विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित किया। सुबह 11 बजे राष्ट्रपति विधानसभा कक्ष में पहुंचीं। विधानसभा अध्यक्ष ने राष्ट्रपति के आगमन पर स्वागत अभिवादन किया। उन्होंने कहा कि ये उत्तराखंड के लिए गर्व की बात है। मंच पर मुख्यमंत्री धामी भी मौजूद रहे।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि 25 वर्षों की विकास यात्रा में उत्तराखंड ने पर्यावरण, ऊर्जा, पर्यटन, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सराहनीय प्रगति की है। उन्होंने कहा कि राज्य के लोग परिश्रमी हैं और उनकी प्रतिबद्धता ने उत्तराखंड को नए विकास पथ पर अग्रसर किया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में जनभावनाओं के अनुरूप वर्ष 2000 में उत्तराखंड का गठन किया गया था। तब से लेकर आज तक राज्य ने संतुलित और स्थायी विकास की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किए हैं। उन्होंने कहा कि “डिजिटल और फिजिकल कनेक्टिविटी दोनों ही क्षेत्रों में राज्य ने तेजी से प्रगति की है।”
महिला सशक्तीकरण को लेकर राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड की महिलाएं हमेशा प्रेरणा स्रोत रही हैं। सुशीला बलूनी, बछेंद्री पाल, गौरा देवी, राधा भट्ट और वंदना कटारिया जैसी महिलाओं ने राज्य को गौरवान्वित किया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड विधान सभा की पहली महिला अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण की नियुक्ति से राज्य का सम्मान और बढ़ा है।
उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता विधेयक लागू करने का निर्णय उत्तराखंड विधान सभा का ऐतिहासिक कदम है। इससे संविधान के अनुच्छेद 44 में निहित समान नागरिक संहिता की भावना को बल मिला है। राष्ट्रपति ने कहा कि पारदर्शिता, नैतिकता और सामाजिक न्याय से प्रेरित विधेयकों को पारित करने के लिए राज्य के वर्तमान और पूर्व विधायकों की सराहना की जानी चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड की भूमि अध्यात्म और शौर्य की धरती है। “कुमाऊं और गढ़वाल रेजीमेंट के नाम से ही यहां की वीरता की पहचान होती है।” उन्होंने कहा कि सेना में सेवा देने का जोश यहां के युवाओं में आज भी वैसा ही है।
उन्होंने विधायकों से आग्रह किया कि विकास और जनकल्याण के कार्यों को पूरी निष्ठा से आगे बढ़ाएं। समाज के वंचित वर्गों और युवा पीढ़ी के कल्याण के लिए संवेदनशील होकर कार्य करें। राष्ट्रपति ने कहा कि विधायक जनता और शासन के बीच की सबसे अहम कड़ी हैं और यदि वे सेवा-भाव से जनता की समस्याओं के समाधान में जुटे रहेंगे तो जनता और जन-प्रतिनिधि के बीच विश्वास का बंधन अटूट रहेगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि विधान सभाएं लोकतंत्र की आधारशिला हैं। उन्होंने कहा कि “बाबासाहब आंबेडकर ने कहा था कि संसदीय प्रणाली में निरंतर उत्तरदायित्व सबसे बड़ा गुण है।”
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड विधान सभा ने नेशनल इलेक्ट्रॉनिक विधान एप्लीकेशन (नेवा) के माध्यम से डिजिटल विधायी कार्यों की दिशा में उल्लेखनीय कदम बढ़ाया है।
अंत में राष्ट्रपति ने कहा कि राज्य की अनुपम प्राकृतिक संपदा और सौंदर्य का संरक्षण करते हुए ही विकास के मार्ग पर आगे बढ़ना होगा। उन्होंने विश्वास जताया कि “राष्ट्र सर्वोपरि की भावना के साथ उत्तराखंड आने वाले वर्षों में स्वर्णिम विकास युग की ओर अग्रसर होगा।”
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह राज्य के लिए गौरवशाली समय है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति का सम्पूर्ण जीवन संकल्प व संघर्षरत रहा है। निजी जीवन में लगातार संघर्ष किया है।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने विशेष सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि मेरा सौभाग्य है कि यहां राष्ट्रपति का सम्बोधन हुआ। उत्तराखंड भौगोलिक परिस्थितियों के चलते विभिन्न है हमारे पड़ोसी चीन व नेपाल है। गंगा व जमुना हमारी सभ्यता से जुड़ी हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने प्राकृतिक आपदा को सामने रखते हुए कहा कि हमें इन आपदाओं से निपटने के समुचित प्रबंध करना होगा। उन्होंने उत्तराखंड के जल, जंगल व जमीन को बचाने के उपाय सुझाए। उन्होंने प्लेन्स रोजगार, स्वास्थ्य व शिक्षा का विस्तार व सुदृढ़ करने पर बल दिया।