नई दिल्ली। भारतीय विज्ञापन उद्योग के दिग्गज पीयूष पांडे का 70 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। पीयूष भारतीय विज्ञापन जगत की पहचान, रचनात्मकता और उनकी आवाज थे, जिन्होंने चार दशकों से अधिक समय तक ओगिल्वी इंडिया में काम करते हुए विज्ञापन की दुनिया को एक नई दिशा दी।
स्तंभकार सुहेल सेठ ने अपने एक्स अकाउंट के माध्यम से पीयूष पांडे के निधन की जानकारी देते हुए गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, “मेरे सबसे प्यारे दोस्त पीयूष पांडे जैसे प्रतिभाशाली व्यक्ति के निधन से मैं बेहद दुखी और स्तब्ध हूं। भारत ने एक महान विज्ञापन जगत की हस्ती नहीं, बल्कि एक सच्चे देशभक्त और एक बेहतरीन सज्जन को खोया है। अब जन्नत में भी गूंजेगा ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’।”
पीयूष पांडे ने अपने विज्ञापन करियर की शुरुआत 1982 में ओगिल्वी एंड माथर इंडिया (अब ओगिल्वी इंडिया) के साथ की थी। उन्होंने एक प्रशिक्षु खाता कार्यकारी के रूप में शुरुआत की और बाद में रचनात्मक क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई। अपनी अद्वितीय प्रतिभा से उन्होंने भारतीय विज्ञापन जगत की तस्वीर को ही बदल दिया।
वह एशियन पेंट्स के “हर खुशी में रंग लाए”, कैडबरी के “कुछ खास है” और फेविकोल की प्रतिष्ठित “एग” फिल्म जैसे कई यादगार विज्ञापन अभियानों के जनक थे। फिल्म निर्माता हंसल मेहता ने अपने खास अंदाज में पांडे को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, “फेविकोल का जोड़ टूट गया। विज्ञापन जगत ने आज अपना गोंद खो दिया। पीयूष पांडे, आप स्वस्थ रहें।”
पीयूष पांडे विज्ञापन की दुनिया के जाने-माने दिग्गज थे। उनके कई कैंपेन बेहद चर्चित रहे, जिन्होंने घर-घर में ब्रांड्स को एक नई पहचान दी। लंबे समय तक भारत की विविधता में एकता दिखाने वाले गीत ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ के लेखक भी थे। उन्होंने फेविकोल और हच (वोडाफोन) जैसी कंपनियों के लिए भी कई सफल विज्ञापन कैंपेन का नेतृत्व किया।
पीयूष पांडे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रचार अभियान का भी हिस्सा रहे। “अबकी बार मोदी सरकार” का नारा भी उन्होंने ही दिया था, जो काफी चर्चा में रहा था।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भी इस विज्ञापन दिग्गज के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने X पर लिखा, “पद्मश्री पीयूष पांडे के निधन पर दुःख व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। विज्ञापन जगत में एक अभूतपूर्व व्यक्तित्व, उनकी रचनात्मक प्रतिभा ने कहानी कहने की कला को नई परिभाषा दी और हमें अविस्मरणीय और कालातीत कहानियां दीं। मेरे लिए, वे एक ऐसे मित्र थे जिनकी प्रतिभा उनकी प्रामाणिकता, गर्मजोशी और बुद्धिमत्ता से झलकती थी। मैं हमारी आकर्षक बातचीत को हमेशा संजोकर रखूंगा। वे अपने पीछे एक गहरा शून्य छोड़ गए हैं जिसे भरना मुश्किल होगा। उनके परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों के प्रति मेरी गहरी संवेदना।”
2004 में पीयूष पांडे ने कान्स लायंस इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ क्रिएटिविटी में जूरी अध्यक्ष के रूप में कार्य करने वाले पहले एशियाई के रूप में इतिहास रचा। उनके महत्वपूर्ण योगदान को बाद में 2012 में क्लियो लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड और पद्मश्री से सम्मानित किया गया, जिससे वे राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त करने वाले भारतीय विज्ञापन जगत के पहले व्यक्ति बन गए।
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