Karnatka: सिद्दरमैया के बेटे का बड़ा बयान, नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें तेज

नई दिल्ली। कर्नाटक की राजनीति में इन दिनों नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें तेज हैं, जिसके चलते गहमा-गहमी का माहौल बना हुआ है। इस बीच, मुख्यमंत्री सिद्दरमैया के बेटे यतींद्र ने एक बड़ा बयान दिया है, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। यतींद्र ने कहा है कि उनके पिता अपने राजनीतिक जीवन के अंतिम चरण में हैं और उन्हें अपने कैबिनेट सहयोगी सतीश जारकीहोली का मार्गदर्शक बनना चाहिए।

सिद्दरमैया के बेटे का चौंकाने वाला बयान

सिद्दरमैया के बेटे और विधानसभा में एमएलसी यतींद्र सिद्दरमैया ने बुधवार को यह बयान तब दिया, जब उनके पिता के राजनीतिक भविष्य को लेकर लगातार अटकलें चल रही हैं। उन्होंने कहा कि सिद्दरमैया को एक मजबूत विचारधारा और प्रगतिशील सोच वाले नेता की आवश्यकता है, जिसका वे मार्गदर्शन कर सकें। यतींद्र ने जारकीहोली को ऐसा ही एक नेता बताया, जो कांग्रेस की विचारधारा को आगे बढ़ा सकते हैं।

राजनीति से संन्यास की अटकलें और खंडन

यह बयान ऐसे समय में आया है जब पहले भी सिद्दरमैया को उन खबरों का खंडन करना पड़ा था कि वे उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के लिए मुख्यमंत्री का पद छोड़ देंगे। सिद्दरमैया ने स्पष्ट रूप से कहा था कि वे पूरे पांच साल के कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री रहेंगे। कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद में बदलाव की अटकलें कई महीनों से चल रही हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी कहा था कि मुख्यमंत्री बदलने का फैसला पार्टी हाईकमान करेगा और किसी को बेवजह मुश्किलें नहीं खड़ी करनी चाहिए।

पार्टी के भीतर दो खेमे की चर्चा

नेतृत्व परिवर्तन पर पार्टी के खंडन करने के बावजूद, यह बात लगातार उठती रही है कि कांग्रेस के अंदर दो अलग-अलग खेमे हैं। एक सिद्दरमैया का समर्थन कर रहा है और दूसरा डीके शिवकुमार का।लोक निर्माण विभाग मंत्री सतीश जारकीहोली पूरी तरह से सिद्दरमैया खेमे के साथ दिख रहे हैं। इसलिए यतींद्र के बयान से सभी को आश्चर्य हुआ, जिसमें उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अपने करियर के अंतिम चरण में हैं और उन्हें जारकीहोली जैसे व्यक्ति को मार्गदर्शन देना चाहिए।

सोची समझी चाल या कुछ और?

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यतींद्र का यह बयान एक सोची समझी चाल हो सकती है। उनका उद्देश्य शिवकुमार और उनके समर्थकों को यह संदेश देना हो सकता है कि सत्ता सिद्दरमैया खेमे के पास ही रहेगी। कुछ विश्लेषकों का यह भी मानना है कि इस तरह के बयान उत्तराधिकार की दौड़ में शामिल अन्य नेताओं को सक्रिय कर सकते हैं। हाल ही में, सिद्दरमैया ने मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावनाओं को भी टाल दिया था, यह कहते हुए कि स्थानीय निकाय चुनाव संपन्न होने तक कोई बदलाव नहीं होगा।

कर्नाटक की राजनीति में यह बयान आने वाले समय में और हलचल पैदा कर सकता है, क्योंकि कांग्रेस के भीतर गुटबाजी को नियंत्रण में रखने के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) ने पार्टी सदस्यों को सार्वजनिक रूप से नेतृत्व के मामलों पर चर्चा करने से परहेज करने का निर्देश दिया है।

 

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