Uttarakhand: चमोली के सवाड़ गांव में केंद्रीय विद्यालय को मिली स्वीकृति, मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय शिक्षा मंत्री का जताया आभार

जनपद चमोली के सवाड़ गांव में केंद्रीय विद्यालय की स्थापना को स्वीकृति मिल गई है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ ही पूरे केंद्रीय मंत्रिमंडल का आभार व्यक्त किया है. यह स्वीकृति क्षेत्र के लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करती है और सीमांत क्षेत्र के छात्रों के लिए बेहतर शिक्षा के अवसर खोलेगी.

मुख्यमंत्री ने लगातार किया था अनुरोध

मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि जनपद चमोली के प्रसिद्ध सवाड़ गांव में केंद्रीय विद्यालय की स्थापना के लिए उनके द्वारा लगातार केंद्र सरकार से अनुरोध किया जा रहा था. उन्होंने कहा कि जनपद चमोली के सीमांत क्षेत्र में केंद्रीय विद्यालय की स्थापना से इस क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को बेहतर गुणात्मक शिक्षा उपलब्ध हो पाएगी, जिससे उनके भविष्य को उज्ज्वल बनाने में मदद मिलेगी. इसके साथ ही, इस पहल से क्षेत्र को एक नई पहचान भी मिल सकेगी, क्योंकि केंद्रीय विद्यालय की स्थापना से उस क्षेत्र में शैक्षिक गतिविधियों और बुनियादी ढांचे का विकास होता है.

राज्य सरकार शिक्षा के अनुकूल माहौल बनाने के लिए प्रयासरत

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर राज्य सरकार के शिक्षा के प्रति समर्पण को भी दोहराया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में शिक्षा का अनुकूल शैक्षिक वातावरण बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है. इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण के साथ नवाचार से जोड़ा जा रहा है, ताकि छात्रों को अच्छी शिक्षा के साथ-साथ शिक्षा का उचित माहौल भी उपलब्ध हो सके. मुख्यमंत्री का मानना है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा किसी भी समाज के विकास की आधारशिला होती है, और सरकार इस दिशा में हर संभव प्रयास कर रही है.

केंद्रीय विद्यालय के लाभ

सवाड़ गांव में केंद्रीय विद्यालय की स्थापना से कई लाभ होने की उम्मीद है:

  • गुणात्मक शिक्षा: केंद्रीय विद्यालय अपने उच्च शैक्षणिक मानकों और सीबीएसई पाठ्यक्रम के लिए जाने जाते हैं, जो छात्रों को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाएंगे.

  • बुनियादी ढांचे का विकास: विद्यालय के निर्माण से क्षेत्र में बुनियादी ढांचे का विकास होगा, जिसमें सड़क, बिजली और अन्य सुविधाओं में सुधार शामिल है.

  • रोजगार के अवसर: विद्यालय के संचालन से स्थानीय लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे, जिसमें शिक्षण और गैर-शिक्षण स्टाफ शामिल है.

  • सामाजिक उत्थान: बेहतर शिक्षा के अवसर मिलने से क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को गति मिलेगी और बच्चों को मुख्यधारा से जुड़ने में मदद मिलेगी.

  • सीमांत क्षेत्र का सशक्तिकरण: सीमांत क्षेत्र में ऐसे संस्थानों की स्थापना से इन क्षेत्रों के विकास पर सरकार के ध्यान को बल मिलता है और इन क्षेत्रों के निवासियों को सशक्त महसूस होता है.

यह स्वीकृति उत्तराखंड सरकार और केंद्र सरकार के बीच समन्वय और सहयोग का एक उदाहरण है, जिसका सीधा लाभ राज्य के छात्रों और स्थानीय समुदाय को मिलेगा.

 

 

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