चंडीगढ़। पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार इन दिनों कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रही है। लैंड पूलिंग नीति पर उठे विवाद और पार्टी के पंजाब मामलों के प्रभारी मनीष सिसोदिया द्वारा 2027 का चुनाव जीतने के लिए ‘साम, दाम, दंड, भेद’ जैसे बयान देने के बाद हुई किरकिरी का डैमेज कंट्रोल करने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक नई रणनीति अपनाई है। उन्होंने उन युवाओं को पत्र लिखना शुरू कर दिया है, जिन्हें हाल ही में उनकी सरकार के दौरान सरकारी नौकरी मिली है।
मुख्यमंत्री की ओर से लिखे गए इस पत्र में अपनी सरकार के दौरान अपनाई गई नौकरी देने की नीति की तुलना पिछली कांग्रेस और अकाली-भाजपा सरकारों से की गई है। इसके साथ ही, युवाओं से अपने अनुभव और जवाब को व्हाट्सअप पर भेजने का आग्रह भी किया गया है।
एक ऐसे ही पत्र की इबारत देखें, जो गुरदासपुर के एक युवा को मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पंजाबी में लिखा है। चिट्ठी में कहा गया है, “मुझे बहुत खुशी हुई है कि पंजाब में हमारी सरकार आने के बाद आपको सरकारी नौकरी मिली है। मेरी ओर से आपको और आपके परिवार को इसकी बधाई हो।” इसके बाद मुख्यमंत्री ने सीधा सवाल पूछा है, “मैं पूछना चाहता हूं कि यह सरकारी नौकरी लेने के लिए क्या आपको किसी सिफारिश की जरूरत पड़ी? क्या नौकरी लेने के लिए आपको पैसे देने पड़े? क्या नौकरी आपको बिना सिफारिश और बिना पैसों के मिली?”
पत्र में आगे कहा गया है, “हमसे पहले पंजाब में कभी कांग्रेस सरकार रही तो कभी अकाली-भाजपा की। मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि आप बताएं कि उनकी सरकारों के दौरान बिना रिश्वत या सिफारिश के नौकरी मिलती थी? क्या आप मानते हो कि पंजाब में ऐसा पहली बार हो रहा है कि आम परिवारों के बच्चों को उनकी मैरिट के आधार पर नौकरियां मिल रही हैं। मुझे आपके जवाब की प्रतीक्षा रहेगी। आप अपना जवाब 9876761515 पर व्हाट्सअप के जरिए भेज सकते हैं।”
मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी की यह कवायद मौखिक प्रचार के जरिए अपनी छवि को सुधारने की कोशिश मानी जा रही है। पिछले महीनों में लैंड पूलिंग पालिसी को लेकर सरकार को तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा था। इसके बाद, एक कार्यक्रम के दौरान मनीष सिसोदिया का यह बयान कि 2027 का चुनाव जीतने के लिए ‘साम, दाम, दंड, भेद’ अपनाना पड़ेगा, ने राजनीतिक गलियारों में जमकर हंगामा खड़ा कर दिया था और विपक्षी दलों ने इसे हाथोंहाथ लिया था। इस बयान ने आप सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए थे, जिससे एक बड़े डैमेज कंट्रोल की जरूरत महसूस की जा रही थी।
सिर्फ आंतरिक विवाद ही नहीं, पार्टी के लिए एक और बड़ी मुश्किल भारतीय जनता पार्टी ने भी खड़ी कर रखी है। भाजपा के नेता पिछले डेढ़ महीने से पंजाब के गांव-गांव जाकर कैंप लगा रहे हैं और वहां केंद्र सरकार की विभिन्न नीतियों और उपलब्धियों के बारे में लोगों को जागरूक कर रहे हैं। शुरुआत में तो पंजाब सरकार ने इन कैंपों को गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन जैसे-जैसे इन कैंपों को सफलता मिलने लगी और हर परिवार अपना डेटा देने लगा, तो सत्तारूढ़ आप पार्टी को यह महसूस हुआ कि स्थिति हाथ से निकल रही है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, सरकार ने पिछले हफ्ते में इस तरह के कैंप लगाने वालों की धरपकड़ शुरू कर दी है, जिससे राजनीतिक तनाव और बढ़ गया है।
कुल मिलाकर, भगवंत मान सरकार एक तरफ अपनी प्रशासनिक नीतियों और बयानों से उपजे नकारात्मक माहौल को कम करने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दलों, विशेषकर भाजपा, की बढ़ती सक्रियता का भी सामना कर रही है। नई नौकरी पाने वाले युवाओं को पत्र लिखने की यह पहल सरकार की ‘पारदर्शिता’ और ‘मेरिट-आधारित’ भर्ती प्रक्रिया के संदेश को जनता तक पहुंचाने का एक प्रयास है, लेकिन इसकी सफलता भविष्य में ही पता चलेगी।
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