नई दिल्ली। हाल के दिनों में अमेरिका द्वारा भारत सहित अन्य देशों पर 50 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने की घोषणा और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के दावे, जिसमें कहा गया है कि रूस से तेल खरीदने वाले देशों को कड़े टैरिफ का सामना करना पड़ेगा, ने वैश्विक स्तर पर एक टैरिफ युद्ध छेड़ दिया है। इस भू-राजनीतिक उथल-पुथल के बीच, दुनिया के 20 देशों के दिग्गज नेता एक मंच पर एकजुट होने जा रहे हैं, जो अमेरिकी नीतियों को करारा जवाब दे सकते हैं।
चीन के तियानजिन में आयोजित होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित कई अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष और सरकार प्रमुख हिस्सा लेंगे। इस उच्च स्तरीय बैठक को अमेरिका की व्यापारिक नीतियों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है।
पीएम मोदी की उपस्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण
चीन के सहायक विदेश मंत्री लियू बिन ने इस बात की पुष्टि की है कि एससीओ बैठक में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य कई देशों के दिग्गज शामिल होंगे। यह आयोजन चीन के तियानजिन शहर में होगा। दो दिवसीय इस शिखर सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और नौ अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख भी हिस्सा लेंगे, जो इसकी वैश्विक प्रासंगिकता को दर्शाता है।
भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने गुरुवार को इस शिखर सम्मेलन के लिए पीएम मोदी की चीन यात्रा को बेहद महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी की यह यात्रा न केवल एससीओ के लिए बल्कि दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के लिए भी एक अहम घटना होने वाली है। चीन और भारत का एक कार्य समूह इस यात्रा को सफल बनाने की तैयारियों में जुटा है।
संयुक्त घोषणा पत्र पर होगा हस्ताक्षर, अमेरिकी नीति पर घेराव संभव
एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग कर रहे हैं। इस दौरान एससीओ के सभी सदस्य देश एक संयुक्त घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, सभी सदस्य देश एससीओ विकास रणनीतिक को मंजूरी देंगे और सुरक्षा तथा आर्थिक सहयोग को मजबूत करने के उपायों पर भी गहन चर्चा करेंगे। यह व्यापक रूप से माना जा रहा है कि इस घोषणा पत्र में अमेरिका की एकतरफा टैरिफ नीति को करारा जवाब दिया जा सकता है, जो दुनिया भर में व्यापारिक तनाव को बढ़ा रही है।
एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले प्रमुख दिग्गजों की सूची:
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी – भारत
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राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन – रूस
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राष्ट्रपति शी जिनपिंग – चीन
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राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियान – ईरान
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उप प्रधानमंत्री इशाक डार – पाकिस्तान
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राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन – तुर्की
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प्रधान मंत्री अनवर इब्राहिम – मलेशिया
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महासचिव एंटोनियो गुटेरेस – संयुक्त राष्ट्र
अमेरिका को घेरने में लगा चीन
इस शिखर सम्मेलन के माध्यम से चीन अमेरिका को शक्ति प्रदर्शन दिखाने की कोशिश करेगा। चीनी सहायक विदेश मंत्री लियू बिन ने एससीओ की बैठक को “एक खास देश के चरित्र से अलग” करार दिया। उन्होंने बिना नाम लिए अमेरिका को लेकर कहा कि “कुछ देश अपने राष्ट्रीय हितों को दूसरों के हितों से ऊपर रखना चाहते हैं।” लियू ने दावा किया कि एससीओ का सिद्धांत ‘एक की जीत में दूसरे की हार’ जैसी पुरानी अवधारणाओं से काफी अलग है और यह संगठन समय के साथ और भी मजबूत हुआ है। यह बयान स्पष्ट रूप से अमेरिकी ‘पहले अमेरिका’ की नीति पर एक परोक्ष हमला है और दर्शाता है कि एससीओ मंच का उपयोग वैश्विक व्यापार और भू-राजनीतिक परिदृश्य में अमेरिका के प्रभाव को संतुलित करने के लिए किया जाएगा।
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