मॉस्को। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को मॉस्को में एक महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें द्विपक्षीय संबंधों से लेकर बदलते वैश्विक परिदृश्य तक कई मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई। इस दौरान एस जयशंकर ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से भारत और रूस के संबंधों को दुनिया में “सबसे स्थिर और मजबूत” बताया, साथ ही दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापार असंतुलन को ठीक करने की तत्काल आवश्यकता पर भी जोर दिया।
बैठक की शुरुआत में, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने एस जयशंकर का स्वागत करते हुए कहा, “हम अपने संबंधों को एक विशेष रणनीतिक साझेदारी के रूप में देखते हैं।” उन्होंने एक नई बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के निर्माण का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ), ब्रिक्स और जी20 जैसे मंचों की भूमिका लगातार बढ़ रही है। लावरोव ने कहा कि रूस ऐसे संतुलित दृष्टिकोण का समर्थन करता है और आज की चर्चा से अच्छे परिणामों की उम्मीद है।
जवाब में, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यह बैठक राजनीतिक संबंधों पर चर्चा करने और द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करने का एक अवसर है। उन्होंने कहा, “हमारे नेताओं ने हमेशा हमें विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने का मार्गदर्शन दिया है।” जयशंकर ने रूसी उप प्रधानमंत्री डेनिस मांतुरोव के साथ हुई सफल अंतर-सरकारी आयोग की बैठक का भी जिक्र किया, जहां द्विपक्षीय सहयोग के कई मुद्दों पर समाधान निकाले गए।
जयशंकर ने स्पष्ट रूप से व्यापार असंतुलन का मुद्दा उठाते हुए कहा, “हमने आपसी समझ के साथ द्विपक्षीय व्यापार को संतुलित और टिकाऊ तरीके से बढ़ाने की अपनी साझा इच्छा दोहराई है।” उन्होंने कहा कि इसके लिए भारत से रूस को होने वाले निर्यात को बढ़ाना जरूरी है, जिसके लिए गैर-जरूरी शुल्क बाधाओं और नियमों से जुड़ी अड़चनों को जल्दी दूर करना होगा। उन्होंने कृषि, दवा और वस्त्र जैसे क्षेत्रों से निर्यात बढ़ाकर इस व्यापार असंतुलन को ठीक करने का सुझाव दिया।
इसके अलावा, जयशंकर ने बताया कि दोनों देशों के बीच रक्षा और सैन्य तकनीकी सहयोग मजबूत बना हुआ है और रूस भारत के ‘मेक इन इंडिया’ लक्ष्य का समर्थन करता है, जिसमें संयुक्त निर्माण और तकनीक हस्तांतरण शामिल है।
एक महत्वपूर्ण मानवीय मुद्दे पर, जयशंकर ने बताया, “मैंने रूस की सेना में सेवा कर रहे भारतीयों का मुद्दा भी उठाया। कई लोगों को रिहा किया गया है, लेकिन अब भी कुछ मामलों में लोग लापता हैं या प्रक्रिया लंबित है। हमें उम्मीद है कि रूसी पक्ष जल्द इन मामलों का समाधान करेगा।”
प्रेस वार्ता के दौरान, रूसी तेल व्यापार पर उठे सवालों का जवाब देते हुए जयशंकर ने स्पष्ट किया, “हम रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदार नहीं हैं, वह चीन है। हम एलएनजी के सबसे बड़े खरीदार भी नहीं हैं, वह यूरोपीय संघ है।” उन्होंने कहा कि अमेरिकी प्रशासन खुद कहता आया है कि भारत को वैश्विक ऊर्जा बाजार को स्थिर करने के लिए हर जरूरी कदम उठाने चाहिए। उन्होंने इस मुद्दे पर मीडिया के तर्कों को “पूरी तरह से उलझाने वाला और अस्पष्ट” बताया।
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