नई दिल्ली: वैश्विक मंच पर बढ़ते तनाव और यूक्रेन युद्ध की काली छाया के बीच, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक पहल करते हुए अमेरिका को परमाणु हथियारों की संख्या सीमित करने के लिए एक नए समझौते का प्रस्ताव दिया है। पुतिन का यह सुझाव अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ अलास्का में होने वाली बहु-प्रतीक्षित शिखर वार्ता से ठीक एक दिन पहले आया है। इस मुलाकात का मुख्य एजेंडा यूक्रेन युद्ध की समाप्ति पर चर्चा करना है, लेकिन पुतिन के इस प्रस्ताव ने परमाणु निरस्त्रीकरण के मुद्दे को भी केंद्र में ला दिया है।
शांति की पहल और अमेरिका की सराहना
राष्ट्रपति पुतिन ने यह प्रस्ताव अपनी सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों और शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के साथ एक उच्च-स्तरीय बैठक के दौरान रखा, जो ट्रंप के साथ होने वाली वार्ता की तैयारियों का हिस्सा थी। टेलीविजन पर प्रसारित इस बैठक के अंशों में पुतिन ने कहा, “अगर हम परमाणु हथियारों की संख्या सीमित करने के एक नए समझौते तक पहुंच पाए, तो हम रूस, अमेरिका, यूरोप और पूरे विश्व में दीर्घकालिक शांति को कायम रख पाएंगे।”
आश्चर्यजनक रूप से, पुतिन ने यूक्रेन संकट को लेकर अमेरिकी प्रयासों की सराहना भी की। उन्होंने कहा, “अमेरिका यूक्रेन में लड़ाई रोकने के लिए सक्रिय और गंभीर प्रयास कर रहा है। वह इस संकट को और बढ़ने से रोकना चाहता है और इसके लिए सभी संबंधित पक्षों के हितों को ध्यान में रखकर काम कर रहा है।” यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दोनों महाशक्तियों के बीच चल रही तल्खी के बीच एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
क्यों ज़रूरी है नया परमाणु समझौता?
पुतिन ने संकेत दिया कि ट्रंप के साथ उनकी बातचीत में परमाणु हथियारों पर नियंत्रण एक प्रमुख मुद्दा होगा। गौरतलब है कि रूस के पास दुनिया का सबसे बड़ा, लगभग 5,500 परमाणु हथियारों का जखीरा है, जबकि अमेरिका के पास भी इससे थोड़ी ही कम संख्या में हथियार हैं। दोनों देशों के बीच परमाणु हथियारों की संख्या को सीमित रखने वाली मौजूदा ‘न्यू स्टार्ट’ संधि (New START treaty) 5 फरवरी, 2026 को समाप्त हो रही है। यदि समय रहते कोई नया समझौता नहीं हुआ, तो दशकों बाद ऐसा पहली बार होगा जब दोनों परमाणु महाशक्तियों पर हथियारों की संख्या को लेकर कोई बाध्यकारी सीमा नहीं होगी, जो वैश्विक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा बन सकता है।
तनाव के बीच मुलाकात
हालांकि, पुतिन का यह शांति प्रस्ताव एक ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों के बीच बयानबाजी चरम पर है। कुछ ही दिन पहले, पूर्व रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव के रूस-अमेरिका के बीच सीधे युद्ध की आशंका वाले बयान पर ट्रंप ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। इसके जवाब में ट्रंप ने रूस के नजदीक दो परमाणु पनडुब्बियां तैनात करने की घोषणा की थी और बुधवार को ही उन्होंने यूक्रेन में युद्धविराम न होने पर रूस को “गंभीर परिणामों” की धमकी भी दी थी।
यह डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन के बीच दूसरी औपचारिक शिखर वार्ता होगी। इससे पहले दोनों नेता जुलाई 2018 में फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी में मिले थे। रूसी राष्ट्रपति के सलाहकार यूरी उशाकोव के अनुसार, इस बैठक में दोनों देशों के बीच व्यापारिक समझौतों पर भी चर्चा हो सकती है। ऐसे में, अलास्का में होने वाली यह बैठक केवल दो नेताओं की मुलाकात नहीं, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता की दिशा तय करने वाला एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है, जिस पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं।
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