तेल अवीव: इज़राइल-फ़लस्तीन संघर्ष के केंद्र में स्थित वेस्ट बैंक को लेकर एक बड़े और विवादास्पद कदम का ऐलान किया गया है। इज़राइल की सरकार में शामिल एक अति-दक्षिणपंथी दल के प्रभावशाली मंत्री, बेजालेल स्मोट्रिच ने घोषणा की है कि सरकार जल्द ही वेस्ट बैंक को विभाजित कर वहां यहूदी बस्तियों को बसाने की अपनी लंबे समय से लंबित योजना पर काम शुरू करेगी। इस घोषणा ने न केवल फ़लस्तीन में, बल्कि पूरे अरब जगत में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है, क्योंकि इसे स्वतंत्र फ़लस्तीनी राष्ट्र की संभावनाओं को हमेशा के लिए समाप्त करने की एक सोची-समझी रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
क्या है इज़राइल की योजना?
वित्त मंत्री बेजालेल स्मोट्रिच के अनुसार, इस योजना का मुख्य उद्देश्य वेस्ट बैंक के भू-भाग का इस तरह से पुनर्गठन करना है कि पूर्वी यरुशलम को फ़लस्तीनी आबादी वाले क्षेत्रों से पूरी तरह से अलग कर दिया जाए। इसके अलावा, वेस्ट बैंक में यहूदियों के लिए 3,401 नए मकान बनाने की योजना को भी मंजूरी दी गई है। आलोचकों का मानना है कि इन यहूदी बस्तियों के निर्माण से वेस्ट बैंक की जनसांख्यिकी बदल जाएगी और एक संप्रभु फ़लस्तीनी राज्य की स्थापना भौगोलिक रूप से असंभव हो जाएगी। स्मोट्रिच ने यह भी दावा किया कि इस योजना को प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन हासिल है।
फ़लस्तीन और अरब जगत की तीखी प्रतिक्रिया
इस घोषणा के बाद फ़लस्तीनी प्राधिकरण और अन्य फ़लस्तीनी संगठनों ने इज़राइल सरकार की इस योजना की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि यह कदम शांति प्रक्रिया पर एक सीधा हमला है और इसके लागू होने के बाद किसी भी शांति समझौते की कोई गुंजाइश नहीं बचेगी।
वहीं, अरब देशों के संगठन ‘अरब लीग’ ने भी प्रधानमंत्री नेतन्याहू के ‘ग्रेटर इज़राइल’ बनाने संबंधी बयानों पर गहरी चिंता और विरोध व्यक्त किया है। ‘ग्रेटर इज़राइल’ की संकल्पना में पड़ोस के कई अरब देशों के हिस्से भी शामिल हैं। अरब लीग ने इसे अरब देशों की संप्रभुता पर हमला बताते हुए कहा कि इससे पूरे क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता खतरे में पड़ जाएगी। मिस्र ने भी एक अलग बयान जारी कर इसे क्षेत्रीय शांति के लिए खतरनाक बताया है।
अंतरराष्ट्रीय कानून और इज़राइल का रुख
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय, जिसमें संयुक्त राष्ट्र भी शामिल है, वेस्ट बैंक में इज़राइली बस्तियों को अवैध मानता है और इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करार देता है। इसके बावजूद, इज़राइल लगातार इन चेतावनियों को नजरअंदाज करते हुए बस्तियों का विस्तार कर रहा है।
हमास पर संयुक्त राष्ट्र की कार्रवाई का इज़राइल ने किया स्वागत
इस बीच, एक अन्य घटनाक्रम में, इज़राइल के विदेश मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र के उस फैसले का स्वागत किया है, जिसमें हमास को सशस्त्र संघर्षों में यौन अपराध करने वाले समूहों की “काली सूची” में शामिल किया गया है। इज़राइली मंत्रालय ने इसे 7 अक्टूबर को हुए अत्याचारों की एक “लंबे समय से प्रतीक्षित मान्यता” बताया और कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने आधिकारिक तौर पर यह स्वीकार किया है कि हमास ने मानवता के खिलाफ गंभीर यौन अपराध किए हैं।
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