Himachal: ‘कृषि मैपर’ ऐप से होगी खेतों की डिजिटल निगरानी, जियो-टैगिंग के बिना नहीं मिलेगी सब्सिडी

शिमला। हिमाचल प्रदेश में बागवानी और कृषि क्षेत्र को पूरी तरह से डिजिटल और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। अब राज्य में किसानों के खेतों, बगीचों और अन्य संपत्तियों की सटीक लोकेशन को ‘कृषि मैपर’ एप्लिकेशन के माध्यम से ट्रैक किया जाएगा। इस संबंध में बुधवार को बागवानी निदेशक विनय सिंह की अध्यक्षता में एक ऑनलाइन बैठक और प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें इस नई तकनीक को लागू करने के लिए कड़े दिशा-निर्देश जारी किए गए।

क्या है ‘कृषि मैपर’ एप्लिकेशन?

‘कृषि मैपर’ भारत सरकार द्वारा विकसित एक अत्याधुनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म है। इसका मुख्य उद्देश्य जियो-टैगिंग और जियो-फेंसिंग तकनीक का उपयोग करके खेतों, बगीचों और कृषि से जुड़ी अन्य संपत्तियों की सटीक भौगोलिक स्थिति को दर्ज करना है। यह एप्लिकेशन एक मोबाइल ऐप और एक वेब पोर्टल, दोनों रूपों में उपलब्ध है, जिससे फील्ड स्तर पर डेटा एंट्री करना आसान हो जाता है।

बागवानी विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि इस ऐप से कई महत्वपूर्ण लाभ होंगे। इससे जमीनी स्तर पर चल रहे कार्यों की वास्तविक समय में निगरानी (real-time monitoring) संभव होगी, जिससे योजनाओं की प्रगति का तत्काल आकलन किया जा सकेगा। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि लाभार्थियों के दोहराव को समाप्त किया जा सकेगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि सरकारी योजनाओं का लाभ सही व्यक्ति तक ही पहुंचे और पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता आए।

जियो-टैगिंग के बिना नहीं मिलेगी सब्सिडी

प्रशिक्षण सत्र के दौरान यह स्पष्ट कर दिया गया कि अब एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) की सभी योजनाओं के तहत जियो-टैगिंग और जियो-फेंसिंग को अनिवार्य कर दिया गया है। अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि भविष्य में किसी भी लाभार्थी को जियो-टैगिंग और जियो-फेंसिंग के बिना कोई भी सब्सिडी जारी नहीं की जाएगी।

इसके अलावा, भारत सरकार द्वारा फंड रुकने की किसी भी संभावना से बचने के लिए समय पर डेटा अपलोड करने, विभागीय और फील्ड स्तर पर यूजर आईडी बनाने और नियमों का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए गए। बैठक में यह भी तय किया गया कि ‘कृषि मैपर’ के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सभी फील्ड अधिकारियों को यूजर आईडी बनाने पर तत्काल प्रशिक्षण दिया जाए।

भविष्य की योजनाएं और विशेषताएं

इस एप्लिकेशन की सबसे खास बात यह है कि इसका आगामी फीचर बिना नेटवर्क कनेक्टिविटी के भी डेटा कैप्चर करने में सक्षम होगा, जो हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य के दूर-दराज के क्षेत्रों के लिए एक वरदान साबित होगा। भविष्य में ‘कृषि मैपर’ को ‘MIDH सुरक्षा’ पोर्टल के साथ एकीकृत करने और इस एप्लिकेशन का विस्तार करने की भी योजना है। इस पहल से न केवल कृषि और बागवानी गतिविधियों का एक केंद्रीकृत डिजिटल डेटाबेस तैयार होगा, बल्कि यह योजनाओं के कार्यान्वयन में दशकों पुरानी समस्याओं को भी हल करेगा।

 

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