नई दिल्ली/श्रीनगर। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर आठ सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह मामला उस ऐतिहासिक फैसले के बाद आया है, जिसमें अदालत ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के कदम को तो बरकरार रखा था, लेकिन साथ ही जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल करने और चुनाव कराने की बात कही थी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह निर्देश शिक्षाविद जहूर अहमद भट और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता अहमद मलिक द्वारा दायर याचिका पर दिया। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने मामले पर जल्द सुनवाई का आग्रह किया था। इस पर सीजेआई ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए जमीनी हकीकत को भी ध्यान में रखना होगा। उन्होंने हाल की आतंकी घटनाओं का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा, “पहलगाम में जो हुआ, आप उसे नजरअंदाज नहीं कर सकते… इस संबंध में अंतिम निर्णय संसद और कार्यपालिका को लेना है।”
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि राज्य का दर्जा बहाल करने की प्रक्रिया पर विचार चल रहा है और निर्णय लेने की प्रक्रिया में कई पहलुओं को ध्यान में रखा जा रहा है। अदालत ने उनकी दलीलों पर गौर करते हुए केंद्र को अपना विस्तृत पक्ष रखने के लिए आठ हफ्तों का समय दिया।
यह मामला साल 2019 में हुए उस बड़े राजनीतिक और संवैधानिक बदलाव से जुड़ा है, जब केंद्र सरकार ने संसद में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम पारित किया था। इस अधिनियम के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त कर दिया गया और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया। तब से ही विभिन्न राजनीतिक दल और नागरिक संगठन लगातार जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य के दर्जे की बहाली की मांग कर रहे हैं।
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस विधायक इरफान हाफिज लोन ने कहा, “जम्मू-कश्मीर के लोग अपने राज्य का दर्जा वापस पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हमने अपनी अर्जी सुप्रीम कोर्ट में रखी थी और हमें विश्वास है कि अदालत गुण-दोष के आधार पर फैसला सुनाएगी और यहां के लोगों को न्याय मिलेगा।”
गौरतलब है कि 11 दिसंबर, 2023 को अपने ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के निर्णय को वैध ठहराया था। हालांकि, उसी फैसले में अदालत ने चुनाव आयोग को सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश दिया था और केंद्र सरकार से कहा था कि वह “जितनी जल्दी हो सके” इसका राज्य का दर्जा बहाल करे। अब इस नई याचिका पर केंद्र के जवाब के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि सरकार के पास राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए क्या समय-सीमा और रोडमैप है।
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