Uttarakhand: उत्तराखंड में नदी-नालों के किनारे निर्माण पर पूर्ण प्रतिबंध, धामी सरकार का सख्त फैसला

देहरादून। उत्तराखंड में हाल ही में हुई धराली आपदा के बाद, आपदा प्रबंधन और सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार ने कड़ा रुख अपना लिया है। भविष्य में ऐसी त्रासदियों की पुनरावृत्ति को रोकने और जन-धन की हानि को न्यूनतम करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को एक उच्च-स्तरीय बैठक में कई महत्वपूर्ण और सख्त निर्देश जारी किए। सबसे बड़े फैसले के तहत, पूरे प्रदेश में प्राकृतिक जलस्रोतों और नदी-नालों के किनारों पर किसी भी प्रकार के नए निर्माण कार्यों पर तत्काल प्रभाव से पूरी तरह रोक लगा दी गई है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में उनके आवास पर हुई इस बैठक में आपदा से बचाव के उपायों पर गहन मंथन किया गया। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन, हिमस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से सभी संवेदनशील स्थलों को तत्काल चिह्नित किया जाए। इस मैपिंग का उद्देश्य संभावित खतरों का पूर्वानुमान लगाकर समय रहते सुरक्षात्मक उपाय करना और लोगों को सतर्क करना है।

नए निर्माण की नहीं होगी अनुमति, उल्लंघन पर होगी सख्त कार्रवाई

मुख्यमंत्री धामी ने दो टूक शब्दों में कहा कि एक बार संवेदनशील स्थल चिह्नित हो जाने के बाद, उन क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की नई बसावट या नए निर्माण कार्य की अनुमति कतई नहीं दी जाएगी। उन्होंने यह भी साफ किया कि यह प्रतिबंध केवल निजी निर्माणों पर ही नहीं, बल्कि सरकारी निर्माण कार्यों पर भी समान रूप से लागू होगा। उन्होंने उच्चाधिकारियों को निर्देश दिया कि इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों को स्पष्ट और विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जाएं ताकि इसका कड़ाई से पालन सुनिश्चित हो सके।

मुख्यमंत्री ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि इन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वाले किसी भी अधिकारी के विरुद्ध सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि आपदा से बचाव के लिए रोकथाम के उपायों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए और संवेदनशील क्षेत्रों में जनहित को ध्यान में रखते हुए ठोस व प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए।

इस महत्वपूर्ण बैठक में अपनी सरकार की प्राथमिकता को स्पष्ट करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “आपदा पर किसी का वश नहीं है, लेकिन संभावित खतरे से निपटने के लिए पहले से ही सतर्कता बरती जानी आवश्यक है। इसी कड़ी में संवेदनशील स्थल चिह्नित करने के साथ ही अन्य कदम उठाए जा रहे हैं। आपदा से बचाव के दृष्टिगत रोकथाम के उपाय करना सरकार की प्राथमिकता है।”

बैठक में प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शैलेश बगोली, एडीजी ए.पी. अंशुमान, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते और अपर सचिव बंशीधर तिवारी समेत कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। सरकार के इस फैसले को उत्तराखंड के अनियोजित विकास पर लगाम लगाने और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

 

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