नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच दो साल से अधिक समय से जारी युद्ध को समाप्त करने के लिए अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक विवादास्पद शांति फॉर्मूले का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने सुझाव दिया है कि दोनों देशों को शांति के लिए अपनी-अपनी जमीन का कुछ हिस्सा छोड़ना पड़ सकता है। इस बयान ने एक बार फिर इस बहस को तेज कर दिया है कि आखिर रूस ने यूक्रेन की कितनी जमीन पर कब्जा कर रखा है और क्या इस तरह का कोई समझौता संभव है।
आंकड़ों के अनुसार, रूस ने फरवरी 2022 के आक्रमण के बाद से यूक्रेन के लगभग 19% भू-भाग पर नियंत्रण कर लिया है, जो तकरीबन 1,14,500 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है। इसमें 2014 में कब्जाया गया क्रीमिया प्रायद्वीप और पूर्वी एवं दक्षिण-पूर्वी यूक्रेन के बड़े इलाके शामिल हैं। वहीं, यूक्रेन अपने रुख पर कायम है कि वह अपनी संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा और अपनी एक इंच जमीन भी नहीं छोड़ेगा।
किन इलाकों पर है रूस का दावा?
रूस अब आधिकारिक तौर पर क्रीमिया, डोनेत्स्क, लुहांस्क, ज़पोरिज़िया और खेरसन को अपना हिस्सा मानता है। विडंबना यह है कि 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद मॉस्को ने स्वयं इन क्षेत्रों को यूक्रेन का हिस्सा माना था, लेकिन अब वह अपने ही फैसले को पलट चुका है। दूसरी ओर, यूक्रेन और अधिकांश पश्चिमी देश 1991 की सीमाओं को ही मान्यता देते हैं और रूस के इस कब्जे को अवैध मानते हैं।
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क्रीमिया: काला सागर के तट पर स्थित यह 27,000 वर्ग किलोमीटर का प्रायद्वीप 2014 से ही रूस के कब्जे में है। रूस ने एक विवादित जनमत संग्रह के बाद इसे अपने देश में मिला लिया था। इसका ऐतिहासिक महत्व भी है, क्योंकि 18वीं शताब्दी में यह रूसी साम्राज्य का हिस्सा था, जिसे 1954 में सोवियत नेता निकिता ख्रुश्चेव ने यूक्रेन को सौंप दिया था।
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डोनबास (डोनेत्स्क और लुहांस्क): रूस ने पूर्वी यूक्रेन के औद्योगिक क्षेत्र डोनबास के लगभग 88% हिस्से पर कब्जा कर लिया है। इसमें पूरा लुहांस्क और डोनेत्स्क का 75% हिस्सा शामिल है। 2014 में रूसी समर्थित अलगाववादियों ने इन्हें स्वतंत्र गणराज्य घोषित कर दिया था, जिसे 2022 में राष्ट्रपति पुतिन ने मान्यता देकर आक्रमण का आधार बनाया था।
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ज़पोरिज़िया और खेरसन: दक्षिण में स्थित इन दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों के 74% हिस्से पर भी रूस का नियंत्रण है। रूस ने इन चारों क्षेत्रों को अपने देश में मिलाने की घोषणा की थी, हालांकि वह इन पर पूरी तरह से कब्जा नहीं कर पाया है।
शांति की शर्तें और वैश्विक प्रतिक्रिया
राष्ट्रपति पुतिन ने शांति के लिए अपनी शर्तें रखी हैं, जिसमें यूक्रेन द्वारा इन चार क्षेत्रों से अपनी सेना हटाने और नाटो में शामिल न होने की गारंटी देना शामिल है। हालांकि, यूक्रेन और उसके सहयोगी इन शर्तों को आत्मसमर्पण के समान मानते हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूस के दावों को मान्यता नहीं मिली है। संयुक्त राष्ट्र ने 2014 में ही क्रीमिया के विलय को अवैध ठहराया था। केवल सीरिया, उत्तर कोरिया और निकारागुआ जैसे कुछ देश ही रूस के पक्ष में खड़े हैं। ऐसे में, ट्रंप का “जमीन के बदले शांति” का प्रस्ताव भले ही एक समाधान की तरह लगे, लेकिन यह यूक्रेन की संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के जटिल सवालों को जन्म देता है, जिसका समाधान फिलहाल दूर की कौड़ी नजर आता है।