शिमला। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी में पिछले नौ महीनों से चला आ रहा अध्यक्ष पद का इंतजार अब खत्म होने वाला है। पार्टी हाईकमान ने नए प्रदेश अध्यक्ष का नाम लगभग तय कर लिया है और अब केवल इसकी औपचारिक घोषणा बाकी है। सूत्रों के अनुसार, इस बार पार्टी सामाजिक समीकरणों को साधते हुए अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग से संबंध रखने वाले किसी नेता को यह अहम जिम्मेदारी सौंप सकती है। इस नियुक्ति के साथ ही राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें भी तेज हो गई हैं।
इस महत्वपूर्ण फैसले को अंतिम रूप देने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू मंगलवार को दिल्ली जा सकते हैं, जहां उनका पार्टी के शीर्ष नेताओं से मिलने का कार्यक्रम प्रस्तावित है। हालांकि, पहले उनका सोमवार को ही दिल्ली जाने का कार्यक्रम था, लेकिन खराब मौसम के कारण इसे टालना पड़ा। माना जा रहा है कि अगले एक-दो दिनों के भीतर ही नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की घोषणा कर दी जाएगी।
हाईकमान ने जानी सबकी राय
यह कवायद पिछले सप्ताह ही तेज हो गई थी जब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, मौजूदा अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और अन्य कैबिनेट मंत्रियों के साथ बैठक कर नए अध्यक्ष को लेकर उनकी राय जानी थी। चूंकि राज्य में कांग्रेस की सरकार है, इसलिए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति में मुख्यमंत्री की पसंद को विशेष महत्व दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि यदि एससी वर्ग या किसी कैबिनेट मंत्री को अध्यक्ष बनाया जाता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी।
कौन हैं अध्यक्ष पद की दौड़ में?
यदि पार्टी हाईकमान एससी वर्ग पर दांव लगाती है तो तीन नाम सबसे आगे चल रहे हैं। इनमें विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार, भोरंज से विधायक सुरेश कुमार और कसौली से विधायक विनोद सुल्तानपुरी प्रमुख हैं। वहीं, कैबिनेट मंत्रियों में से शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर भी अध्यक्ष पद के लिए अपनी इच्छा सार्वजनिक रूप से जाहिर कर चुके हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल की भी संभावना
प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही हिमाचल में मंत्रिमंडल विस्तार की संभावनाएं भी प्रबल हो गई हैं। यदि किसी कैबिनेट मंत्री को अध्यक्ष बनाया जाता है तो उनका मंत्री पद खाली हो जाएगा। इसके अलावा, कैबिनेट में पहले से ही एक पद रिक्त है। सूत्रों की मानें तो इन रिक्तियों को भरने के लिए कुल्लू से विधायक सुंदर ठाकुर को मंत्री बनाया जा सकता है।
वहीं, एक और बड़ा नाम विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया का भी चर्चा में है, जिन्हें मंत्री पद दिया जा सकता है। कहा जा रहा है कि सरकार बचाने में अहम भूमिका निभाने वाले पठानिया ने संकट के समय मंत्री बनने से इनकार कर दिया था, लेकिन अब उन्हें कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है। इस फेरबदल के चलते मौजूदा मंत्रियों के विभागों में भी बदलाव देखने को मिल सकता है।
शिमला का दबदबा और क्षेत्रीय संतुलन
इस पूरे राजनीतिक समीकरण में शिमला जिले का दबदबा भी एक अहम कारक है। मौजूदा अध्यक्ष प्रतिभा सिंह शिमला जिले से संबंध रखती हैं, हालांकि उनका संसदीय क्षेत्र मंडी है। उनसे पहले कुलदीप राठौर भी शिमला से ही अध्यक्ष थे। इसके अलावा, सरकार में शिमला जिले से तीन और शिमला संसदीय क्षेत्र से कुल पांच मंत्री हैं, जो क्षेत्रीय संतुलन पर सवाल खड़े करता है। संभवतः इसी संतुलन को साधने के लिए हाईकमान इस बार किसी दूसरे क्षेत्र या वर्ग के नेता को कमान सौंपने पर विचार कर रहा है।