Delhi: ट्रंप के टैरिफ वॉर का पलटवार- भारत ने अमेरिकी हथियारों की खरीद पर लगाई रोक, राजनाथ सिंह का दौरा भी टला

नई दिल्ली।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर पर अब भारत ने भी कड़ा रुख अपना लिया है। ट्रंप द्वारा भारतीय निर्यात पर 50% का भारी-भरकम टैरिफ लगाए जाने के बाद, भारत ने अमेरिकी हथियार और विमान खरीदने की अपनी योजनाओं को फिलहाल स्थगित कर दिया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस जवाबी कार्रवाई के तहत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का आगामी अमेरिकी दौरा भी टाल दिया गया है।

यह पूरा मामला 6 अगस्त को शुरू हुआ जब राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद जारी रखने को लेकर भारतीय वस्तुओं पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत ऐसा करके यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को “वित्तपोषित” कर रहा है। इस फैसले से भारतीय निर्यात पर कुल टैरिफ 50% हो गया है, जो किसी भी अमेरिकी व्यापारिक साझेदार के लिए सबसे अधिक है।

भारत का बड़ा जवाबी कदम

अमेरिका के इस एकतरफा फैसले के जवाब में, नई दिल्ली ने अब रक्षा सौदों पर ब्रेक लगा दिया है। रॉयटर्स ने दो भारतीय अधिकारियों के हवाले से बताया है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आने वाले सप्ताह में अमेरिका की यात्रा करने की योजना बना रहे थे, लेकिन इस यात्रा को स्थगित कर दिया गया है। यह कदम सीधे तौर पर अमेरिका को यह संदेश देने के लिए है कि व्यापार और रक्षा संबंध एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।

भारत को बनाया जा रहा अनुचित निशाना

भारत ने अमेरिका के इस फैसले का कड़ा विरोध करते हुए कहा है कि उसे अनुचित तरीके से निशाना बनाया जा रहा है। नई दिल्ली का तर्क है कि वाशिंगटन और उसके यूरोपीय सहयोगी भी अपने हितों के अनुसार मॉस्को के साथ व्यापार करते रहते हैं, ऐसे में केवल भारत पर दंडात्मक कार्रवाई करना दोहरा मापदंड है। हालांकि, रॉयटर्स के अनुसार, भारत के रक्षा मंत्रालय और अमेरिकी पेंटागन ने इस मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।

बातचीत जारी, पर फिलहाल सौदे स्थगित

हालांकि, विश्लेषकों का यह भी मानना है कि राष्ट्रपति ट्रंप का टैरिफ पर अपना रुख तेजी से बदलने का इतिहास रहा है। भारत सरकार ने भी कहा है कि वह वाशिंगटन के साथ बातचीत में सक्रिय रूप से शामिल है। उम्मीद है कि एक बार टैरिफ और द्विपक्षीय संबंधों की दिशा स्पष्ट हो जाने के बाद, भारत रक्षा खरीद की प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकता है। फिलहाल, यह स्थगन अमेरिका के लिए एक कड़ा संदेश माना जा रहा है कि भारत अपने आर्थिक और रणनीतिक हितों पर कोई दबाव बर्दाश्त नहीं करेगा।

 

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