नई दिल्ली।
कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर अपना हमला और तेज कर दिया है। वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को एक ‘संस्थागत चोरी’ करार देते हुए, राहुल ने दावा किया है कि चुनाव आयोग गरीबों के वोटिंग अधिकार छीनने के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ ‘खुलेआम मिलीभगत’ कर रहा है।
EC और BJP पर मिलीभगत का आरोप
अपने यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो जारी कर राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग और भाजपा मिलकर चुनावों की चोरी कर रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि बिहार में SIR प्रक्रिया इसलिए लाई गई है क्योंकि “चुनाव आयोग जानता है कि हमने उनकी चोरी पकड़ ली है।”
यह वीडियो राहुल की उस प्रेस कॉन्फ्रेंस के एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने देश भर में ‘वोट चोरी’ के मॉडल का आरोप लगाया था। इस वीडियो में उन्होंने कांग्रेस द्वारा की गई जांच और कर्नाटक के एक विधानसभा क्षेत्र के आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर अपने दावों को समझाने की कोशिश की है।
कर्नाटक के महादेवपुरा मॉडल का दिया हवाला
वीडियो में राहुल गांधी ने अपने दावों को दोहराते हुए कहा कि कर्नाटक की बैंगलोर सेंट्रल लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में पांच अलग-अलग तरीकों से 1 लाख से अधिक वोट ‘चुराए’ गए।
कांग्रेस नेता के दावे के अनुसार, महादेवपुरा में कुल 1,00,250 वोटों की चोरी हुई, जिनमें शामिल हैं:
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11,965 डुप्लीकेट मतदाता
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40,009 फर्जी और अमान्य पते वाले मतदाता
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10,452 एक ही पते पर बल्क मतदाता
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4,132 अवैध फोटो वाले मतदाता
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33,692 नए मतदाताओं के फॉर्म 6 का दुरुपयोग करने वाले मतदाता
’10-15 सीटें कम होतीं तो बनती इंडी गठबंधन की सरकार’
राहुल गांधी ने इस ‘मॉडल’ को सिर्फ एक सीट तक सीमित नहीं बताया। उन्होंने कहा, “2024 के लोकसभा चुनावों में महादेवपुरा में 1,00,250 वोट चोरी हुए। मुझे पूरा विश्वास है कि भारत में ऐसी 100 से ज्यादा सीटें हैं, जहां यही हुआ है।”
इसका राजनीतिक प्रभाव समझाते हुए उन्होंने कहा, “अगर भाजपा की 10-15 सीटें कम होतीं, तो मोदी प्रधानमंत्री नहीं होते और भारत में इंडी गठबंधन की सरकार होती।” राहुल गांधी के इन गंभीर आरोपों ने चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर एक नई बहस छेड़ दी है।