देहरादून।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में बादल फटने से आई प्रलयंकारी आपदा के बाद भारतीय सेना और अन्य राहत एजेंसियों ने युद्धस्तर पर राहत एवं बचाव अभियान तेज कर दिया है। इस भीषण आपदा में 50 से अधिक लोगों के अभी भी लापता होने की आशंका है, जिनमें सेना के जवान भी शामिल हैं। भूस्खलन और मलबे के कारण पूरा इलाका लगभग कट चुका है, लेकिन जवान देवदूत बनकर लोगों की जान बचाने में जुटे हैं।
टूटे रास्ते, फिर भी नहीं टूटे हौसले
बर्तवारी, लिंचिगाड़, गंगरानी और धराली जैसे स्थानों पर भारी भूस्खलन के कारण सड़क मार्ग पूरी तरह से अवरुद्ध हो गए हैं। हालात इतने विकट हैं कि क्षेत्र का अधिकांश हिस्सा बाहरी दुनिया से संपर्क खो चुका है। इन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद, सेना के 225 से अधिक सैनिक, इंजीनियर और मेडिकल टीमों के सदस्य मौके पर डटे हुए हैं और बचाव कार्यों को अंजाम दे रहे हैं।
हवाई बचाव अभियान ने दी रफ्तार
राहत कार्यों को गति देने के लिए हवाई मार्ग एक मात्र सहारा है। सेना ने अपने हर्षिल हेलीपैड को पूरी तरह चालू कर दिया है, जबकि नेलोंग स्थित हेलीपैड भी सक्रिय है, जिससे गंगोत्री में फंसे पर्यटकों को निकालने में बड़ी मदद मिल रही है। हालांकि, धराली का नागरिक हेलीपैड अब भी मलबे में दबा हुआ है।
देहरादून के जॉलीग्रांट हवाई अड्डे पर विशालकाय चिनूक और एमआई-17 हेलिकॉप्टर तैनात किए गए हैं, जो राहत सामग्री और बचाव दलों को आपदाग्रस्त क्षेत्र तक पहुंचा रहे हैं। इसके अलावा, मातली स्थित आईटीबीपी के हेलीपैड को एक अस्थायी एविएशन बेस बनाया गया है, ताकि राहत कार्यों में तेजी लाई जा सके।
सेना के 9 जवान भी लापता, कई घायल अस्पताल पहुंचाए गए
इस प्रलयंकारी आपदा में सेना की एक चौकी भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई, जिसके बाद से एक जेसीओ (जूनियर कमीशंड ऑफिसर) और 8 जवान लापता हैं। उनकी तलाश के लिए सघन खोज अभियान चलाया जा रहा है। सेना ने अब तक 9 जवानों और 3 नागरिकों को हेलिकॉप्टर के जरिए देहरादून पहुंचाया है। तीन गंभीर रूप से घायल नागरिकों को बेहतर इलाज के लिए एम्स ऋषिकेश भेजा गया है, जबकि 8 अन्य घायलों को उत्तरकाशी के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
गंगोत्री में फंसे 200 पर्यटकों का सेना बनी सहारा
गंगोत्री में फंसे लगभग 180 से 200 पर्यटकों को सेना और आईटीबीपी द्वारा भोजन, आश्रय और प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध कराई जा रही है। सेना के डॉक्टर लगातार उनकी स्वास्थ्य जांच कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री और सेना के शीर्ष कमांडर मौके पर
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वयं धराली पहुंचकर हालात का जायजा लिया। वहीं, सेना की सेंट्रल कमान के कमांडर और यूबी एरिया के जीओसी भी मौके पर मौजूद रहकर बचाव कार्यों की निगरानी कर रहे हैं।
अगले 48 घंटों की रणनीति
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चिनूक हेलिकॉप्टर के जरिए पैरा ट्रूपर्स और मेडिकल टीमों को हर्षिल पहुंचाया जाएगा।
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एनडीआरएफ की टीमों और डॉक्टरों को एमआई-17 हेलीकॉप्टर से नेलोंग भेजा जाएगा।
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नेलोंग से लौटते समय हेलीकॉप्टरों में पर्यटकों को सुरक्षित बाहर निकाला जाएगा।
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उत्तरकाशी और टेकला मार्गों को खोलने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं।
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