Punjab: कर्नल से मारपीट में सुप्रीम कोर्ट की पंजाब पुलिस को कड़ी फटकार, कहा – ‘सेना का सम्मान कीजिए’

नई दिल्ली/पटियाला।

“आप अपने घर में चैन की नींद इसलिए सोते हैं, क्योंकि माइनस 40 डिग्री तापमान में भी सीमा पर सेना तैनात है। जब युद्ध होता है, तो वे आपकी रक्षा करने जाते हैं और राष्ट्रीय ध्वज में लिपटकर वापस आते हैं। उस समय आप इन सेना के अधिकारियों की महिमा गाते हैं। सेना के लोगों का कुछ सम्मान कीजिए।”

यह तीखी टिप्पणी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब पुलिस के उन अधिकारियों की याचिका खारिज करते हुए की, जो एक सेना के कर्नल से मारपीट के मामले में सीबीआई जांच के खिलाफ शीर्ष अदालत पहुंचे थे। जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने इस मामले में पुलिस के रवैये पर गहरी नाराजगी जताई।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला 13 अप्रैल की रात का है, जब पटियाला के एक ढाबे पर कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ और उनके बेटे के साथ कुछ पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा कथित तौर पर मारपीट की गई थी। इस मामले की जांच में हो रही लगातार लापरवाही को देखते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने 16 जुलाई को केस की जांच चंडीगढ़ पुलिस की एसआईटी से लेकर सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था। पंजाब पुलिस के अधिकारियों ने हाई कोर्ट के इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की खारिज, जताई नाराजगी

याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, “हम इस अपील को भारी जुर्माने के साथ खारिज करते हैं। इस तरह की अराजकता स्वीकार्य नहीं है।” अदालत का यह रुख स्पष्ट करता है कि वह सेना के अधिकारी के साथ हुए इस व्यवहार को लेकर कितनी गंभीर है।

हाई कोर्ट ने भी लगाई थी फटकार

इससे पहले पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने भी चंडीगढ़ पुलिस की एसआईटी को जांच में ढिलाई बरतने के लिए कड़ी फटकार लगाई थी। जस्टिस राजेश भारद्वाज की पीठ ने कहा था कि तीन महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं की गई, जिससे यह संदेश जाता है कि पुलिस आरोपियों को बचा रही है। इसी आधार पर जांच सीबीआई को सौंपी गई थी।

आरोपियों पर विभागीय कार्रवाई

इस मामले में विभागीय जांच के बाद, नामजद चार इंस्पेक्टरों और दो पुलिस कर्मचारियों की सेवा अवधि में तीन साल की कटौती की गई है। इनमें इंस्पेक्टर हैरी बोपाराय, रौनी सिंह, हरजिंदर सिंह ढिल्लो, शमिंदर सिंह और पुलिस कर्मचारी राजवीर व सुरजीत सिंह शामिल हैं। आदेश के अनुसार, सेवा अवधि में कटौती के दौरान उन्हें न तो कोई पदोन्नति मिलेगी और न ही कोई भत्ता या अतिरिक्त वेतन दिया जाएगा। इस दौरान ये सभी निलंबित रहेंगे और उनकी पोस्टिंग पटियाला जिले से बाहर होगी।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब यह तय हो गया है कि कर्नल से मारपीट के इस संवेदनशील मामले की जांच सीबीआई ही करेगी।

 

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