Delhi: अनिल अंबानी पर ईडी का शिकंजा, 17,000 करोड़ के लोन फ्रॉड मामले में बड़ी कार्रवाई

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उद्योगपति अनिल अंबानी और उनके समूह की कंपनियों से जुड़े 17,000 करोड़ रुपये के कथित बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में अपनी जांच तेज कर दी है। इस हाई-प्रोफाइल मामले में ईडी ने एक के बाद एक कई बड़े कदम उठाए हैं, जिससे अनिल अंबानी समूह की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। जांच एजेंसी ने न केवल अनिल अंबानी के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर (LOC) जारी किया है, बल्कि उन्हें 5 अगस्त को पूछताछ के लिए तलब भी किया है।

मामले की तह तक जाने के लिए ईडी ने एक दर्जन से अधिक बैंकों के शीर्ष प्रबंधन को पत्र लिखकर अनिल अंबानी समूह को दिए गए उन सभी कर्जों की विस्तृत जानकारी मांगी है, जो बाद में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) बन गए। ईडी यह जानना चाहती है कि लोन मंजूरी की प्रक्रिया क्या थी, किन शर्तों पर कर्ज दिया गया, यह कब एनपीए में तब्दील हुआ और इसकी वसूली के लिए बैंकों ने क्या कदम उठाए। सूत्रों के अनुसार, यदि बैंकों के जवाब संतोषजनक नहीं पाए गए, तो संबंधित बैंक अधिकारियों को भी पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है। जिन बैंकों को पत्र भेजा गया है उनमें भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक, यूको बैंक और पंजाब एंड सिंध बैंक जैसे बड़े नाम शामिल हैं।

यह जांच मुख्य रूप से अनिल अंबानी की तीन कंपनियों—रिलायंस हाउसिंग फाइनेंस, रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस—पर केंद्रित है। इससे पहले, ईडी ने धन-शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत मुंबई में 35 ठिकानों पर एक बड़ी तलाशी अभियान चलाया था, जिसमें अनिल अंबानी समूह से जुड़ी लगभग 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों को निशाना बनाया गया था।

जांच के दौरान एक बड़े फर्जीवाड़े का भी पर्दाफाश हुआ है। ईडी ने पाया कि अनिल अंबानी की कंपनियों ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) को 68.2 करोड़ रुपये की एक फर्जी बैंक गारंटी सौंपी थी। इस धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए एक नकली ईमेल डोमेन ‘s-bi.co.in’ बनाया गया, जो भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के आधिकारिक डोमेन ‘sbi.co.in’ से काफी मिलता-जुलता था, ताकि गारंटी को असली दिखाया जा सके। ईडी ने अब नेशनल इंटरनेट एक्सचेंज ऑफ इंडिया (NIXI) से इस फर्जी डोमेन के पंजीकरण की जानकारी मांगी है ताकि इसके पीछे के मास्टरमाइंड का पता लगाया जा सके।

ईडी इस मामले में हर पहलू की गहराई से जांच कर रही है। एजेंसी का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना है कि लोन के रूप में मिले हजारों करोड़ रुपये का आखिर क्या हुआ, क्या इसे अवैध रूप से कहीं और भेजा गया और क्या इस पूरे घोटाले में बैंकों के कुछ अधिकारियों की भी मिलीभगत थी। अनिल अंबानी से होने वाली पूछताछ को इस मामले में बेहद अहम माना जा रहा है, जिससे जांच को नई दिशा मिल सकती है। आने वाले दिनों में इस हाई-प्रोफाइल मामले में और भी बड़े खुलासे होने की उम्मीद है।

 

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